जैसलमेर का अस्पताल क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से मुक्त, मानक के दायरे में

प्रदेश में केवल जैसलमेर शहर का राजकीय अस्पताल का क्षेत्र ही अछूता है, जहां पर रात-दिन में शोर का स्तर मानक से भी कम है। यहां क्षेत्र में शोर का स्तर न केवल अन्य हिस्सों की तुलना में कम है बल्कि प्रदेश में भी यह एकमात्र स्थान माना जाता है। गौरतलब है कि प्रदेश में अस्पताल व मेडिकल कॉलेज साइलेंस जोन की फेहरिस्त में शामिल है। प्रदेश में अन्य क्षेत्रों में साइलेंस जोन की स्थिति देखते तो यहां पर भी शोर मानक स्तर से काफी अधिक है। साइलेंस एरिया में दिन में 50 व रात में 40 डेसिबल स्टैंडर्ड पर है। अगस्त महीने के आंकड़ों में राज्य के 35 शहरों में साइलेंस इलाकों में शोरगुल का औसत स्तर 60 डेसिबल से अधिक है। गौरतलब है कि राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से राज्य के 36 शहरों में 178 स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण की 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है। इसमें इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, आवासीय और साइलेंस जोन शामिल हैं। मॉनिटरिंग के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में शोर मानक स्तर से काफी कम है, जबकि साइलेंस जोन और आवासीय इलाकों में शोरगुल का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसी तरह साइलेंस जोन में रात में भी राहत नहीं राजस्थान के अस्पताल और मेडिकल कॉलेज साइलेंस जोन के अंतर्गत आते हैं, जहां दिन के समय 50 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल का मानक निर्धारित है। लेकिन, प्रदेश के 36 शहरों में मॉनिटरिंग से यह सामने आया है कि किसी भी साइलेंस जोन में शोर का स्तर मानक के अनुरूप नहीं है। इस तरह जैसलमेर के अलावा सभी शहरों में दिन और रात दोनों समय में शोर का स्तर तय सीमा से अधिक है।

अन्य शहरों में यह है हकीकत: ध्वनि प्रदूषण की गंभीर स्थिति

-शोरगुल के मुख्य कारण शहरी क्षेत्रों में शोरगुल बढऩे के पीछे वाहनों की बढ़ती संख्या प्रमुख कारण है।
-देर रात तक चलने वाले कार्यक्रम, लाउडस्पीकर और निर्माण कार्य भी शोरगुल के स्तर को बढ़ाते हैं।

-विशेषज्ञों के अनुसार, अत्यधिक शोर से हाइपरटेंशन, कान के पर्दों को नुकसान, नींद संबंधी विकार, तनाव और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। साइलेंस जोन में ध्वनि प्रदूषण से मरीजों के स्वस्थ होने में भी देरी हो सकती है।
-आजकल डीजे सिस्टम का उपयोग किया जाता है। जिसका शोर 200-300 डेसिबल से भी अधिक चला जाता है।

-अस्पताल के आसपास ज्यादा शोर होने पर रोगी के स्वस्थ होने में लगने वाले समय बढ़ा जाता है।

मॉनिटरिंग आंकड़े

इंडस्ट्रियल एरिया

दिन – 75 डेसिबल
रात -70 डेसिबल

कमर्शियल क्षेत्र

दिन -65 डेसिबल
रात -55 डेसिबल

आवासीय इलाके

दिन 55 डेसिबल
रात 45 डेसिबल

साइलेंस जोन

दिन 50 डेसिबल
रात 40 डेसिबल

अगस्त महीने में राज्य के टॉप-5 शहर

झालवाड़ में 80.7, जोधपुर 77.9 नागौर 76.21, अजमेर 76.4 व चूरू में 75.6 डेसिबल शोर का स्तर मापा गया। सभी पांचों शहरों में तेज शोर वाले सभी कमर्शियल इलाके है। यहां पर शोर का यह स्तर सुबह 6 से रात 10 बजे तक की मॉनिटरिंग का है।

इसलिए राहत में जैसलमेर

-जैसलमेर शहर की आबादी 1 लाख से कम मानी जाती है।
-जवाहिर अस्पताल के समीप कोई औद्योगिक इकाई नहीं है।

-यहां आबादी क्षेत्र कम होने से अन्य शहरों की अपेक्षाकृत वाहनों की आवाजाही भी कम है।
-अस्पताल के समीप शहर कोतवाली, कलेक्ट्रेट और न्यायालय होने से स्थिति नियंत्रण में रहती है।

सुखद स्थिति

जैसलमेर के राजकीय अस्पताल साइलेंस जोन के मानक पर खरा उतरता है। यह सुखद स्थिति है। ऐसे में मरीजों के उपचार व उनके शीघ्र स्वस्थ होने में सकारात्मक माहौल मिलता है। आबादी कम होने व उद्योग अस्पताल के समीप नहीं होने से भी यह सुख्द स्थिति है।

-डॉ. चंदनसिंह तंवर, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय जवाहिर अस्पताल जैसलमेर

Leave a Comment