Constitution Day : आज पूरे देश में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। राजस्थान विधान सभा में पहली बार संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को कहा कि संविधान के प्रति अश्रद्धा पैदा ना करें। संविधान के मूल ढांचे को कोई बदल नहीं हो सकता है। संविधान के 22 भागों में हमारी संस्कृति और नैतिकता का विवरण है। राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक संविधान को पढ़ें, उसे जानें और उसके अनुकूल जीवन जीने का प्रयास करें। संविधान हमारी आत्मा और पवित्र ग्रंथ है। यह हमारे जीवन मूल्य व संस्कृति का स्वाभिमान भी है। संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक भारत के लोगों की आकांक्षाओं, मूल्यों और आदर्शों का प्रतिबिम्ब है। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने मंगलवार को यहां विधान सभा में संविधान दिवस पर आयोजित समारोह में राजनैतिक आख्यान संग्रहालय में नवनिर्मित संविधान दीर्घा का लोकार्पण किया। इस संविधान दीर्घा में मूल संविधान के 22 भागों के आरम्भ में दर्शाई गई कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
कृतज्ञता ज्ञापित करने का स्मरण दिवस
देवनानी ने बताया कि संविधान दीर्घा का उद्देश्य आमजन और युवाओं में राष्ट्र और राष्ट्र के संविधान का बोध कराने के साथ ही संविधान, सांस्कृतिक और नैतिकता के प्रति जागरुकता लाना है। उन्होंने संविधान दिवस को संविधान निर्माताओं के प्रति श्रद्धाभाव प्रकट करने तथा उनके अविस्मरणीय योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का स्मरण दिवस बताया हैं।
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देवनानी ने अधिवक्ताओं का किया आवाहन
राजस्थान विधान सभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर पहली बार आयोजित संविधान दिवस समारोह में सैकड़ों की संख्या में अधिवक्तागण, विधि संस्थानों के छात्र-छात्राओं के साथ ही गणमान्य नागरिकगण और राजस्थान विधान सभा के अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया। देवनानी ने अधिवक्ताओं का आवाहन किया कि वे संविधान प्रदत्त अधिकारों की पालना कराने में सहयोगी बनें।
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दीर्घा में भारत की संस्कृति और स्वाभिमान को हैं तस्वीरें
देवनानी ने कहा कि संविधान के 22 भागों के मुख पृष्ठ पर भारत की संस्कृति और स्वाभिमान को दिखाती हुई तस्वीरें है। इन तस्वीरों में भारत की प्राचीन सम्यता मोहनजोदड़ो से लेकर महाभारत में कुरुक्षेत्र और कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के ज्ञान, भगवान श्रीराम की लंका विजय, भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र, महान सम्राट अशोक, उज्जैन के न्यायिप्रय महाराज विक्रमादित्य के राजदरबार, प्राचीन वैदिक गुरुकुल, नालंदा विश्वविद्यालय, भगवान नटराज, रामभक्त हनुमान के साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, छत्रपति वीर शिवाजी और गुरु गोविन्द सिंह को प्रदर्शित किया गया है।
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