‘दिल सारे अगर बेनकाब होते…तो सोचो कितने फसाद होते’

श्रीकरणपुर @ पत्रिका. जनकराज पारीक साहित्य मंच की ओर से रविवार को काव्य गोष्ठी हुई। इसमें रचनाकारों ने प्रेम, भाईचारा, विरह, संस्कृति, त्योहार, हास्य, देशभक्ति व जीवन के कई अन्य रंगों से जुड़ी रचनाएं पेश कर श्रोताओं को भाव-विभोरकर दिया।

जानकारी अनुसार पेंशनर भवन में हुई काव्य गोष्ठी का आगाज मां सरस्वती की वंदना से हुआ। गोष्ठी का आगाज मंच के सचिव कन्हैया जगवानी ने दिल से दिल मिले तो हो दिवाली, उदास चेहरे खिले तो हो दिवाली रचना सुनाकर कार्यक्रम की प्रासंगिकता को व्यक्त किया। उन्होंने आपसी गिले-शिकवे छोडक़र हर्षोल्लास से त्योहार मनाने का आह्वान किया। इसके बाद संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.जगदीश वर्मा ने दिल सारे बेनकाब होते तो सोचो, कितने फसाद होते और बिना लड़े इंसाफ मिलेगा इस धोखे में मत रहना जैसी भावपूर्ण रचनाएं सुनाई। वरिष्ठ कवि वासुदेव गर्ग ने ईश्वर के सानिध्य में प्रेम ही पनपेगा, दिल की धडक़न को कोई अपना ही समझेगा व संगठन संयोजक ललित बंसल निगाह करणपुरी ने काट बनवास रामचंद्र लौटे घर की ओर हर तरफ मचा हुआ पटाखों का शोर रचना सुनाकर माहौल को भावपूर्ण बना दिया। प्रवीण राजपाल ने ये जुबां हमसे सी नहीं जाती, बालकवि जयवद्र्धन सिंह भाटी ने वो भगतसिंह अब भी भारत की तरुणाई में जीवित है तथा भंवरसिंह भाटी ने सुना है उपकरण ऐसा कोई आया है तथा दर्शन वाल्मीकि व कुलविंद्र सिंह ने सलामत रहे दोस्ताना हमारी गीत सुनाकर तालियां बटोरी। प्रदीप लावा ने ग्रामीण परिवेश में महिलाओं की दिनचर्या से जुड़ी रचना सुनाई।

नशे पर रोक के लिए एकजुटता व संघर्ष जरूरी

गोष्ठी के दौरान कई वक्ताओं ने हाल ही क्षेत्र में नशे से दो युवाओ की मौत व बढ़ते नशे के कारोबार को लेकर चिंता जताई। दर्शन वाल्मीकि ने अ वीर नशे को छोड़ दो ये जहर है चिट्टा छोड़ दो रचना सुनाकर माहौल भावुक कर दिया। संगठन के संरक्षक बलदेव सैन ने साहित्य को समाज का दर्पण बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस व प्रशासन कि ढिलाई से ही क्षेत्र में पोषित हो रहा है। इसके लिए पुलिस को कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि नशे के कारोबारियों में खौफ नजर आए। पेंशनर समाज के अध्यक्ष केवल सिंह ने नशे पर अंकुश लगाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष का आह्वान भी किया। संगठन के उपाध्यक्ष पवन गौड़ व गुरतेजसिंह बुर्जवाला ने भी विचार व्यक्त किए। संगठन अध्यक्ष प्रदीपसिंह अश्क ने खुशियों के दीप जलाना रचना सुनाकर श्रोताओं का आभार जताया।

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