Nagaur patrika…पूरे दिन रहेगा गुरु पुष्य नक्षत्र का महाशुभ दुर्लभ योगों का संयोग

पंचांग के अनुसार इस वर्ष 24 अक्टूबर, दिन गुरुवार को गुरु-पुष्य नक्षत्र बेहद शुभ संयोग बन रहा है। इस बार इसी दिन अमृत योग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग पड़ रहा है। पुष्य नक्षत्र 24 अक्टूबर गुरुवार को सुबह सूर्योदय से पहले 6 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगा। 25 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। 24 अक्टूबर को ही सुबह 6 बजकर 46 मिनट से दूसरे दिन 25 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 45 तक सर्वार्थ सिद्धि अमृत सिद्धि और साध्य योग भी रहेगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस समय शनि कुंभ राशि में और बृहस्पति वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। इन ग्रहों का योग पुष्य नक्षत्र के दिन विशेष रूप से लाभकारी रहेगा। शनि का केंद्र योग स्थायित्व प्रदान करता है। जबकि, बृहस्पति का त्रिकोण योग भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का कारक है।
इस वजह से बन रहा खास योग
इस साल गुरु-पुष्य को साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग और भी खास बना रहा है। साथ ही गुरुवार को साध्य नामक शुभ योग भी रहेगा। ज्योतिर्विद के मुताबिक गुरु पुष्य में की गई खरीदारी चिर स्थाई फल प्रदान करने वाली होती है। गुरु पुष्य में व्यक्ति अपने लक्ष्य साधकर जिस भी कार्य का श्रीगणेश करता है, उसमें सफलता प्राप्त होती है। 27 नक्षत्रों में से एक पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। यह नक्षत्र गुरुवार को आता है तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसे श्रेष्ठतम मंगलकारी योग में से एक माना गया है। इस दिन जो नई वस्तु, जमीन-मकान, वाहन, स्वर्ण आभूषण के अलावा नया व्यापार शुरू करते हैं, उन पर देवी महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। पुष्य नक्षत्र के नाम पर एक माह पौष है। 24 घंटे के अंतर्गत आने वाले तीन मुहूर्तों में से एक 20वां मुहूर्त पुष्य भी है। पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। जैसे- गुरुवार को आने पर गुरु पुष्य नक्षत्र रविवार को रवि-पुष्य, शनिवार के दिन शनि-पुष्य और बुधवार के दिन आने पर बुध-पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। सभी दिनों का अलग-अलग महत्व होता है। गुरु-पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं।
पुष्य नक्षत्र में यह करें काम

पुष्य नक्षत्र पर गुरु, शनि और चंद्र का प्रभाव होता है तो ऐसे में स्वर्ण, लोह (वाहन आदि) और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है। मान्यता अनुसार इस दौरान की गई खरीदारी अक्षय रहेगी। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता है।

इस नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला, पढ़ाई प्रारंभ करना उत्तम माना जाता है। इसमें मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी शुभ माने गए हैं।

गुरु-पुष्य या शनि-पुष्य योग के समय छोटे बालकों के उपनयन संस्कार और उसके बाद सबसे पहली बार विद्यायास के लिए भेजा जाता है।

इस दिन बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा कार्य भी शुरू कर सकते हैं। इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे दुकान खोलना, व्यापार करना या अन्य कोई कार्य।

इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है। इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

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