संभाग के सबसे बड़े अस्पताल से अब लौटाए जा रहे मरीज, रेजिडेंट हड़ताल समाप्ति बाद आने की दी जा रही सलाह

पीबीएम अस्पताल में रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल का असर अब दिनों दिन गहरा होता जा रहा है। मौसमी बीमारियों के चलते मरीजों की भीड़ तो उमड़ रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की व्यवस्थाएं नाकाम सिद्ध हो रही हैं। यहीं वजह है कि सोनोग्राफी आदि महत्वपूर्ण जांचों के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। उधर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए चिकित्सकों को पीबीएम अस्पताल भेजा है। इधर, मंगलवार को प्रयोगशालाओं के अलावा रेडियो डायग्नोसिस विभाग में सबसे ज्यादा जांच कार्य प्रभावित रहा। यहां पर मरीजों को हड़ताल समाप्त होने के बाद आने को कहा जा रहा है। ऐसे में मरीजों को जांच कराने के लिए निजी क्षेत्राें में लगी मशीनों से जांच करानी पड़ रही है।

केवल भर्ती मरीजों एवं प्रसूताओ की ही जांच

रेडियो डायग्नोसिस विभाग रेजिडेंट चिकित्सकों के भरोसे ही चलता है। इस समय रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के कारण सोनोग्राफी, सिटी स्कैन तथा एमआरआई जांच प्रभावित हो रही है। अस्पताल के 22 नंबर कमरे में लगी मशीन के कक्ष में सन्नाटा पसरा रहता है। यहां पर उन्हीं मरीजों की जांच की जा रही है, जो गंभीर रूप से बीमार हैं। जबकि प्रसूति रोग विभाग एवं ट्रोमा सेंटर में एक भी मरीज की जांच नहीं की जा रही है। प्रसूताओं को भी जांच कराने के लिए 22 नंबर कक्ष आना पड़ रहा है। इसके अलावा एसबीबी में सिटी स्कैन एवं एमआरआई जांच कार्य भी प्रभावित हो रखा है।

16 नंबर आउटडोर पर दबाव और बढ़ा

इस समय मौसमी बीमारियों के चलते इस समय मरीजों की सबसे अधिक भीड़ मेडिसिन विभाग के 16 नंबर आउटडोर में उमड़ रही है। इस आउटडोर में इस समय करीब एक हजार मरीजों का पंजीकरण हो रहा है। ऐसे में रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल (Resident Srike) के चलते मरीजों को कम ही भर्ती किया जा रहा है। उन्हीं रोगियों को भर्ती किया जा रहा है, जिनकी स्थिति गंभीर है। एक अनुमान के मुताबिक अस्पताल के सभी आउटडोर में सामान्य दिनों में करीब सात हजार मरीजों का आउटडोर होता है, लेकिन इस समय हड़ताल के कारण यह संख्या 6 हजार हो गई है। इसके अलावा ऑपरेशन भी प्रभावित हो रहे हैं।

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