करवा चौथ: तेरे हाथ से पीकर पानी, दासी से बन जाऊं रानी

श्रीगंगानगर। सुहाग के प्रतीक पर्व करवा चौथ व्रत को लेकर सुहागिनों में उमंग और उत्साह का माहौल रहा। गली मोहल्ले से लेकर बाजार तक महिलाओं की ग्राहकी रही। वहीं मंदिरों व घरों में कथा के उपरांत कई कार्यक्रमो में महिलाएं डीजे साउंड पर ​थिरकने को मजबूर हुई। मेहंदी, चूडिय़ां, श्रृंगार, साडिय़ां, ज्वेलरी, पार्लर, कॉस्मेटिक सहित महिलाओं से जुड़ी हर दुकान उनकी चमक के साथ लकदक रही। देर शाम तक बाजारों में महिलाएं अपने पतियों के साथ खरीदारी में जुटी देखी गईं। एक ही दिन में लाखों रुपए का सामान हाथों हाथ बिक गया, जिससे दुकानदारों में भी उत्साह बना रहा। दोपहर में सुहागिनों ने करवा चौथ व्रत कथा पंडितों और घर की बुजुर्ग महिलाओं से श्रवण की और दिनभर निर्जला रहकर पति की लंबी आयु की कामना में व्रत रखा। करवा चौथ का व्रत सुहाग का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। दिन में सुहागिनों ने मां गौरी व गणेश जी की विधिवत पूजा की। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है। करवाचौथ व्रत के सामान व महिलाओं के श्रृंगार की सामग्री की बिरंगी के बीच दुकानों पर करवा चौथ व्रत संबंधी गीत बजते सुनाई दिए। इन गीतों में ‘और नहीं कुछ तुमसे कहना, जीवन साथी साथ ही रहना’, ‘आज करवा चौथ है’, ‘उन्हें लग जाए मेरी उमर’, ‘चांद ना कर दगाबाजी’, ‘चांद धरती पे आया है’, ‘सुहाग मेरा रखना अमर’, ‘करवा चौथ सखी त्योहार’, ‘जल्दी आ जाना सजन जी घर’, ‘चांद में दिखे सजना’, ‘मेरा चांद मेरे घर आया’, ‘तेरे हाथ से पीकर पानी, दासी से बन जाऊं रानी’ जैसे गीत खूब उत्साह के साथ बजाए जा रहे थे।

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