धार्मिक मान्यताएं
sharad purnima kheer ka mahatva: सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है। लेकिन सबसे खास है, शरद पूर्णिमा उपाय, जिसमें खीर में औषधीय गुण पैदा हो जाते हैं।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। इसकी धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन आकाश से अमृत की बूंदों की वर्षा होती है। यह अमृत वर्षा 16 कलाओं से पूर्ण चंद्रमा की किरणों के माध्यम से होती है। इसी कारण इस दिन पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा का उजाला फैला होता है और धरती दूधिया रोशनी से नहाई भी जान पड़ती है। इसलिए इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है।
यह भी माना जाता है कि आज के दिन ही मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं।
अमृत जैसी खीर की वैज्ञानिक मान्यता
sharad purnima kheer ka mahatva: वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस समय अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्र किरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं।
इससे इस समय पूर्णिमा की चांदनी में खुले आसमान के नीचे रखी गई खीर चंद्रमा के प्रभाव से औषधीय गुणों से युक्त हो जाती है। चंद्रमा की इन्हीं किरणों के कारण खीर अमृत के समान हो जाती है। इसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगा।
कब होगा चंद्रोदय
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा 2024 पर चंद्रोदय शाम 5:10 बजे होगा। जो लोग व्रत रखना चाहते हैं वे 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा करें।
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 16 अक्टूबर 2024 को रात 8:45 बजे से
पूर्णिमा तिथि समापनः 17 अक्टूबर 2024 को शाम 4:50 बजे
शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा: 16 अक्टूबर 2024
(खास बात है कि इस दिन रवि योग, रेवती नक्षत्र का शुभ संयोग भी है।)
कोजागरी के इस उपाय से तंगी से छुटकारा
शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा पर ही महारास की रचना की थी। इस दिन चंद्र देवता की विशेष पूजा की जाती है और खीर का भोग लगाया जाता है, जिसे रात में आसमान के नीचे खीर रखा जाता है।
वहीं कोजागरी पूर्णिमा का त्योहार पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि कोजागरी पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।