पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजना पर मौजूदा भजनलाल सरकार ने अडंगा लगा दिया है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई लवकुश योजना पर अब बजट का ग्रहण लग गया है। जिले के सबसे बड़े वन क्षेत्र होने के साथ ही राज्य की लाइफलाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध स्थल व निकटवर्ती वन क्षेत्र में पर्यटकों को लुभाने वाली लवकुश वाटिका के साथ ही कंजर्वेशन रिजर्व जैसी योजनाएं भी बजट के अभाव में अधूरी पड़ी हुई है। यहां दो वर्ष पूर्व पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए दो करोड़ रुपए लागत की लवकुश वाटिका में भी प्रथम चरण का कार्य पूर्ण हो गया था लेकिन अब दूसरे चरण में बजट का टोटा पड़ गया है जिससे दो यह योजना भी दुर्दशा का शिकार होकर दम तोड़ने लगी है।
वनविभाग ने कराए थे विकास कार्य
बीसलपुर बांध स्थल पर पर्यटकों की संख्या में इजाफा करने के लिए गत राज्य सरकार की ओर से जलभराव किनारे लव कुश वाटिका की घोषणा कर प्रथम चरण को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी। जहां कार्यकारी एजेंसी के तौर पर वन विभाग की ओर से कुछ विकास कार्य भी कराए थे लेकिन आगे बजट के अभाव में योजना पर ताला लग गया है। जिससे इस वर्ष बांध छलकने के दौरान यहां आने वाले पर्यटकों को लवकुश वाटिका का दीदार नही हो सका है।
जिले में पर्यटन विकास की योजनाओं पर काम नहीं हो पा रहा है। बजट राशि के अभाव में काम नहीं हो पा रहा है जिससे पर्यटक भी दूर होता जा रहा है।जबकि जिले में कई स्थल हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन प्रशासन और पर्यटन विभाग की ओर से अनदेखी बरती जा रही है।
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ये होना था निर्माण
लवकुश वाटिका में प्रथम चरण के तहत चार दीवारी निर्माण, झौंपा (घास की छतरियां), बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले चकरी, एंडवेंचर गतिविधियों के लिए विकास कार्य हो चुके हैं। वहीं वन्य जीवों की आकृति, पानी के होद, कच्ची सड़कें, पौधरोपण, वॉच टावर आदि विकास कार्य अभी भी अधूरे है।
लवकुश वाटिका में प्रथम चरण के तहत विकास कार्य करवा दिया गया है। द्वितीय चरण के तहत वॉच टावर आदि विकास कार्य होने है जिसे जल्द ही शुरू करवाने का प्रयास जारी है।- मारिया साईन, उप वन संरक्षक, टोंक
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