100 किलोमीटर तक फैला संकट, एकमात्र पोकरण दमकल पर निर्भर पूरा क्षेत्र

विस्तृत भू-भाग में फैले सरहदी जिले के परमाणु नगरी पोकरण के क्षेत्र में दमकल की कमी के कारण आए दिन हो रही आग की घटनाओं के दौरान लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। जबकि प्रशासन की ओर से उपखंड व पंचायत समिति मुख्यालयों एवं बड़े गांवों में दमकल उपलब्ध करवाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि पोकरण विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख से अधिक की आबादी निवास करती है। साथ ही एक से दूसरे छोर की दूरी भी 250 से 300 किलोमीटर है। क्षेत्र में 2 उपखंड, 3 पंचायत समिति मुख्यालयों के साथ सैकड़ों गांव व ढाणियां स्थित है। पोकरण विधानसभा क्षेत्र की एक सीमा जोधपुर, दूसरी बाड़मेर व तीसरी सीमा फलोदी जिले से लगती है। जबकि पूरे विधानसभा क्षेत्र में दमकल की सुविधा केवल पोकरण नगरपालिका में ही है। यहां दमकल के 2 वाहन है। पोकरण कस्बे के साथ ही पूरे विधानसभा क्षेत्र एवं पड़ौसी जिलों के नजदीकी गांवों में आग लगने पर पोकरण से ही दमकल भेजी जाती है। अधिक दूरी के कारण समय पर दमकल के नहीं पहुंचने से कई बार सम्पदा जलकर नष्ट हो जाती है। जिसके कारण लोगों को नुकसान हो रहा है।

यह है अंतिम छोर के गांवों की दूरियां

पोकरण की नगरपालिका में 2 दमकल वाहन है। जिन्हें क्षेत्र में कहीं पर भी आग लगने की स्थिति में भेजा जाता है।

पोकरण से दक्षिण दिशा में फलसूंड गांव की दूरी 70 एवं बाड़मेर की सीमा से लगते गांवों की दूरी करीब 90 किमी है।

पूर्व दिशा में लवां गांव 15 किमी एवं सीमा 28 किमी है।

सांकड़ा गांव की दूरी 40 एवं बाड़मेर सीमा तक करीब 75 किमी है।

जैसलमेर रोड पर सोढ़ाकोर गांव तक करीब 60 किमी दूरी है।

उत्तर-पश्चिम दिशा में नाचना करीब 90 किमी एवं आगे फलोदी जिले का नोख गांव करीब 200 किमी दूर है, जो पोकरण विधानसभा क्षेत्र में आता है।

इन क्षेत्रों में कहीं पर भी आग लगने पर पोकरण से दमकल भेजी जाती है।
लग जाते है 2 से 3 घंटे
क्षेत्र में कहीं पर भी आग लगने के बाद ग्रामीणों को जानकारी होती है, इसके बाद ग्रामीणों या पुलिस की ओर से दमकल को सूचना दी जाती है। सूचना के बाद पोकरण नगरपालिका से दमकल वाहन रवाना होता है और 60 किमी से अधिक दूरी होने पर 1 घंटे से अधिक समय लग जाता है। ऐसे में अंतिम छोर के गांवों तक दमकल पहुंचने पर 2 से 3 घंटे का समय लगता है। तब तक सामान आग में स्वाहा हो जाता है।

हकीकत यह भी
पोकरण के अलावा भणियाणा उपखंड मुख्यालय है। इसके अलावा नाचना उपनिवेशन मुख्यालय है। पोकरण में सांकड़ा, भणियाणा व नाचना पंचायत समितियां है। बावजूद इसके क्षेत्र में कहीं पर भी दमकल की व्यवस्था नहीं है। आग लगने पर निजी ट्रैक्टर टंकियों, सोलर कंपनियों की दमकल अथवा पोकरण नगरपालिका की दमकल भेजी जाती है। भणियाणा, नाचना क्षेत्र के बाशिंदों की ओर से कई बार दमकल की मांग भी की गई, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कवायद नहीं की जा रही है।

साल में दर्जनों घटनाएं
पोकरण के भणियाणा उपखंड क्षेत्र, नाचना नहरी क्षेत्र में आए दिन आग की घटनाएं होती रहती है। इसके अलावा रामदेवरा गांव में भादवा मेले के दौरान 30 से 40 लाख श्रद्धालुओं की आवक होती हैै और सैकड़ों दुकानें लगती है। मेलावधि में भी आग की घटनाएं होती है। नहरी क्षेत्र में गर्मी के मौसम में वन सम्पदा में आग लगने पर हजारों पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते है। इसके अलावा दुकानों, मकानों, खेतों आदि में आग लगने से भी हजारों का सामान स्वाहा हो जाता है।

फैक्ट फाइल:-

3 लाख से अधिक है पोकरण विधानसभा क्षेत्र की आबादी

2 उपखंड मुख्यालय है क्षेत्र में

3 पंचायत समिति मुख्यालय है पोकरण क्षेत्र में

100 किमी तक पोकरण से जाती है दमकल

2 से 3 घंटे का लगता है समय

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