खाद उपलब्ध नहीं होने से परेशान काश्तकार

डीएपी खाद उपलब्ध नहीं होने से किसान परेशान हैं। कृषि विभाग के उप निदेशक गोपाल लाल कुमावत का कहना है कि सरसों फसल के लिए वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया कि सिंगल सुपर फास्फेट खाद के प्रयोग से इसकी पैदावार तथा तेल की मात्रा दोनों बढ़ती है।

सिंगल सुपर फास्फेट में 16 प्रतिशत फास्फोरस के साथ 11 प्रतिशत गंधक तत्व मिलता है। सिंगल सुपर फास्फेट का फास्फोरस पानी घुलनशील है, जो पौधों को तुरंत उपलब्ध हो जाता है। डीएपी का फास्फोरस साइट्रेट में घुलनशील होता है। जो भूमि में फिक्स हो जाता है। पूरी मात्रा में पौधों को नहीं मिल पाता। इससे जमीन कठोर हो जाती है। एक बीघा में 40 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट पर्याप्त रहता है। इस खाद के साथ खाद 15 किग्रा यूरिया प्रति बीघा अंतिम जुताई से पहले खेत में छिड़कर जुताई कर दे।

रकबा बढ़ने की उम्मीद

जिले में मानसूनी बारिश और जलाशयों में प्राप्त पानी के चलते रबी की फसलों का रकबा बढ़ने की उम्मीद हैं। लिहाजा खाद की अधिक मांग है। अभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों तक खाद नहीं पहुंच पा रही है। कृषि विभाग ने किसानों को डीएपी की जगह सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) उर्वरक का उपयोग करने की सलाह दी। सल्फर पौधों में क्लोरोफिल बनाने में मदद करता हैं। तिलहनी फसलों में तेल तथा दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता हैं।

उन्होंने बताया कि एसएसपी डीएपी से सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता हैं। एक डीएपी बैग की जगह किसान तीन बैग एसएसपी और एक बैग यूरिया का उपयोग कर सकते हैं। इससे कम लागत में अधिक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और सल्फर मिलेगा। किसानों को सलाह दी कि वे उर्वरक व अन्य कृषि आदान लाइसेंसशुदा दुकानों से ही खरीदें।

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