Rajasthan Farmers: बहरोड़। कृषि विभाग ने किसानों को सरसों की फसल में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि समय पर बुवाई, उन्नत किस्मों का चयन और संतुलित उर्वरक प्रबंधन से पैदावार में वृद्धि की जा सकती है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे सरसों की बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक पूरी करें और प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें।
बहरोड़ कृषि अधिकारी पीपी यादराम गुर्जर ने किसानों से फसल की नियमित निगरानी करने और कीट या रोग दिखने पर तुरंत कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करने की बात कही। साथ ही कहा कि विभाग की ओर से जारी किए गए सुझावों को अपनाकर किसान अपनी सरसों की उपज और लाभ दोनों बढ़ा सकते हैं।
1. कीट प्रबंधन
सरसों उगने के बाद यदि कीट लगा हुआ है, तो मैलाथियान 5 प्रतिशत डीपी या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत या फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत डीपी में से कोई भी एक दवाई 20 किलो प्रति हेक्टेयर या 5 किलो प्रति बीघा के हिसाब से भुरकाव करें।
2. पौधों की दूरी
पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी एकदम सही होनी चाहिए। यदि सरसों की फसल सघन है, तो निडाई-गुड़ाई के समय विरलीकरण कर पौधे से पौधा 20 सेमी और कतार से कतार 45 सेमी पर रखें।
3. जिंक सल्फेट का उपयोग
पहले पानी में या बुवाई के समय जिंक सल्फेट 20 किलो प्रति हेक्टेयर डालने से फुटाव अच्छी होगी।
4. सल्फर का उपयोग
यदि बुवाई में सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग नहीं किया गया है, तो पहले पानी में सल्फर 20 किलो प्रति हेक्टेयर (5 किलो प्रति बीघा) के हिसाब से डालें। इससे तेल की मात्रा बढ़ेगी।
5. स्क्लेरोशिया रॉट प्रबंधन
स्क्लेरोशिया रॉट जो कि स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम नामक फफूंद के कारण होता है के लिए गंभीर संक्रमण की स्थिति में कार्बेन्डाज़िम 50 प्रतिशत को 200 ग्राम प्रति बीघा के हिसाब से पहले पानी के साथ डालें। इसके अलावा टेबुकोनाज़ोल या प्रोपिकोनाज़ोल जैसे फफूंदनाशकों से मिट्टी में ड्रेंचिंग करें।