रतननगर से केबीसी तक: क्विज एक्सपर्ट अर्चना गाड़ोदिया गुप्ता का ज्ञान सफर

नरेन्द्र शर्मा

चूरू. जिला मुख्यालय से केवल सात मील दूर रत्नगर्भा नगरी रतननगर (Ratannagar) के कर्मवीरों ने न केवल सामाजिक सरोकार की ध्वज पताका फहराए रखी बल्कि यहां की सौंधी माटी की महक को देश और दुनियां में महकाया। जिसमें यहां की बेटिया भी पीछे नहीं रही। भले ही रतननगर के भामाशाह बालकिशन गाड़ोदिया की चार बेटियां अपनी मायड़ भूमि से दूर रही लेकिन उन्होंने अपने पैतृक नगर को एक ऐसी पहचान दी की आज सोनी टीवी का लोकप्रिय सिरीयल कौन बनेगा करोड़पति (KBC) की प्रश्न विशेषज्ञ बनी हुई है। जिले के रतननगर की अर्चना ने असाधारण सफर तय किया है। यहां के समाजसेवी बालकिशन गाड़ोदिया की चारों बेटियाँ अपने-अपने क्षेत्र में मिसाल हैं, इनमें अर्चना की कहानी ज्ञान, साहस और नारी शक्ति की अद्भुत मिसाल है।

अमिताभ करवाते है परिचय

लोकप्रिय सीरियल कौन बनेगा करोड़पति (Kaun Banega Crorepati) के मंच पर जब अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने विशेषज्ञों का परिचय कराते है, तो एक नाम ने सबका ध्यान खींच लिया वह है रतननगर की बेटी अर्चना गाड़ोदिया गुप्ता। कौन बनेगा करोड़पति में भाग लेने वाले जो प्रतिभागी सवाल पर अटक जाते है तो एक्सपर्ट अर्चना का सहारा लेने पर वे अनसुलझे सवाल का सलझाकर उन्हें करोड़पति बना दिया है।

गुगल गर्ल

अर्चना स्कूल के दिनों से ही सवालों की दुनिया उनकी सबसे प्रिय रही। दोस्तों के बीच क्विज की “गूगल गर्ल” (Google Girl) कहलाने वाली अर्चना ने अपनी लगन से वो मुकाम हासिल किया, जहां पहुंचना आसान नहीं था लेकिन धुन की पक्की अर्चना ने अपनी मेहनत से कठिन से राह आसान बनाई तथी तो 2001 में उन्होंने बीबीसी मास्टरमाइंड इंडिया का खिताब जीता। जिसे सिद्धार्थ बसु जैसे दिग्गज ने संचालित किया। अगले ही वर्ष उन्होंने चैंपियन ऑफ चैंपियंस बनकर साबित किया कि असली विजेता वह है जो हर चुनौती को अवसर बना ले।

बनी क्विज़ एक्सपर्ट

वर्षों बाद, जब उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति के मंच पर “क्विज़ एक्सपर्ट” (Quiz Expert) के रूप में कदम रखा, तो पूरा राजस्थान गर्व से मुस्कुरा उठा। उनकी उपस्थिति ने न केवल प्रतिभागियों को आत्मविश्वास दिया, बल्कि दर्शकों को भी यह याद दिलाया कि ज्ञान किसी सीमा, उम्र या लिंग का मोहताज नहीं।

उद्यम के साथ लेखन

अर्चना सिर्फ क्विज़ की महारथी नहीं हैं, बल्कि एक लेखिका, उद्यमी और बिजनेस लीडर भी हैं। उन्होंने पिछले दो दशकों में महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण के लिए अनेक पहल शुरू कीं। स्वयं जैसी संस्था के माध्यम से महिलाओं को मेंटरिंग, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान किए। उनकी यात्रा महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से प्रेरणास्पद बन गई हैं कि छोटे शहरों से निकली आवाज़ें, जब दृढ़ संकल्प और मेहनत से गूंजती हैं, तो उनका असर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचता है। वर्तमान में गोडोदिया परिवार की ओर से चूरू में डिजीटल लाइब्रेरी सहित सामाजिक सरोकार में विविध गतिविधियां संचालित की जा रही है।