Piyush Pandey: ‘हर घर कुछ कहता है…लेकिन आज हमारे घर में सन्नाटा है’, विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे नहीं रहे

जयपुर। ‘अबकी बार मोदी सरकार’, ‘दो बूंद जिंदगी की’, ‘कुछ मीठा हो जाए’, ‘दम लगा के हइसा’ जैसी यादगार लाइनों के जनक और भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे ने शुक्रवार को अंतिम सांस ली। पद्मश्री से सम्मानित पीयूष पांडे का 70 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन हो गया।

पीयूष मूल रूप से गुलाबी नगर के थे। उन्होंने राजस्थान की संस्कृति, रंग और जीवनशैली को विज्ञापनों के माध्यम से देश-दुनिया तक पहुंचाने में योगदान दिया है। पीयूष की बहन इला अरुण ने बताया कि उनकी यादगार लाइन थी कि हर घर कुछ कहता है..लेकिन आज हमारे घर में ही सन्नाटा है। हमारा परिवार 11 लोगों का था, जिसमें माता-पिता, 2 भाई (पीयूष प्रसून), 7 बहनें हैं। पीयूष परिवार में लीडर का रोल निभाते थे। वे कहते थे कि हम क्रिकेट टीम की तरह है। ‘फ्रंट फुट पर खेलों और झंडे गाड़ो’।

विज्ञापनों में राजस्थान बार-बार आता

इला अरुण ने बताया कि गुलाबी नगर स्थित सेंट जेवियर स्कूल से उन्होंने स्कूली शिक्षा ली थी। वे अक्सर विज्ञापनों में उन चीजों को शामिल करते थे, जो उनको आमजन में देखने को मिलती थी। उन्होंने लोगों के जीवन को बहुत करीब से देखा है। उनके विज्ञापनों में राजस्थान बार-बार आता है। विज्ञापन क्षेत्र को एक नई दिशा दी है। पहले विज्ञापन अंग्रेजी में होते थे, लेकिन उन्होंने उनको हिंदी में भी किया।

चर्चित रही ‘जाने क्या दिख जाए…’

राजस्थान टूरिज्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने ‘जाने क्या दिख जाए…’ टैगलाइन दी थी, जो खूब चर्चित रही।

रणजी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के वरिष्ठ स्टेटिशियन ओपी शर्मा के अनुसार बल्लेबाज पीयूष पांडे ने राजस्थान के लिए 5 रणजी मैच खेले थे। उन्होंने अपना डेब्यू मैच रेलवे के खिलाफ 1977-78 में दिल्ली के करनेल सिंह स्टेडियम में खेला था। पांच रणजी मुकाबलों में पांडे ने 105 रन बनाए थे। अंडर-22 कर्नल सीके नायडू के 4 मुकाबलों में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया था।