राजस्थान में निजी मेडिकल कॉलेजों की मनमानी फीस पर नकेल, ज्यादा शुल्क लेने पर 12% ब्याज सहित लौटानी होगी, संबद्धता होगी खत्म

जयपुर: प्रदेश के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस संरचना के नियमों की कड़ाई से पालना करनी होगी। राज्य सरकार ने शुक्रवार को इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। कुछ निजी मेडिकल कॉलेजों में मनमानी फीस वसूली की शिकायतों के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस्लामिक एकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य मामले में दिए गए निर्णय की अनुपालना में यह आदेश जारी किया गया है।

इसमें निजी शैक्षणिक संस्थानों में शुल्क निर्धारण और प्रवेश प्रक्रिया को विनियमित करने पर जोर दिया गया है। आदेश के अनुसार, राज्य स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति की ओर से निर्धारित शुल्क संरचना का पालन सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य है। अनुमोदित शुल्क से अधिक कोई अन्य शुल्क किसी भी संस्था द्वारा वसूला जाता है, तो प्रभावित छात्रों को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ शुल्क रिफंड किया जाएगा।

प्रभावित छात्रों के साथ क्या होगा

नियमों का पालन न करने पर संस्था की संबद्धता आरयूएचएस एवं एमएमयू से समाप्त की जा सकती है, अतिरिक्त शुल्क कॉलेज की संपत्तियों से वसूल किया जाएगा और प्रभावित छात्रों को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा। ऐसी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।

इसकी जानकारी एनएमसी एवं डीसीआई को भी दी जाएगी। यह आदेश मुख्य रूप से निजी चिकित्सा कॉलेजों की ओर से अवैध अतिरिक्त शुल्क वसूली की शिकायतों के आधार पर जारी किया गया है। विशेष रूप से यूजी काउंसलिंग बोर्ड की वेबसाइट पर कुछ निजी कॉलेजों ने 15 प्रतिशत सीटों को मैनेजमेंट सीट बताकर अतिरिक्त शुल्क दर्शाया है। जो शुल्क नियामक समिति की ओर से अधिकृत नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवहेलना है, जिसमें शिक्षा को लाभकारी व्यवसाय बनाने पर रोक लगाई गई है।

शिकायतों एवं निरीक्षणों से सामने आई स्थिति

चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार के अनुसार, कई मामलों में छात्रों से निर्धारित शुल्क से अधिक राशि वसूल करने की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। कुछ संस्थाएं व्यवसायीकरण की प्रवृत्ति अपनाकर छात्रों का शोषण कर रही हैं। आदेश के अनुसार, सभी निजी मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों को समिति की ओर से निर्धारित शुल्क संरचना के अनुसार ही छात्रों से शुल्क वसूल करना होगा।