Motivational Story: बाड़मेर की असिस्टेंट प्रोफेसर सरिता लीलड़ अब लेफ्टिनेंट (ANO) सरिता के नाम से जानी जाएंगी। उन्होंने ग्वालियर (मध्यप्रदेश) स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में 75 दिन की कठिन ट्रेनिंग पूरी कर एनसीसी में अधिकारी का पद हासिल किया है।
दो बेटियों की हैं मां
सरिता दो बेटियों की मां हैं। ट्रेनिंग के दिनों में उन्हें बच्चियों से दूर रहना पड़ा। कई बार उनकी याद में सरिता की आंखें भर आईं। लेकिन हिम्मत और परिवार के सहयोग से उन्होंने यह सफर पूरा किया। ट्रेनिंग खत्म कर जब वह घर लौटीं, तो सबसे पहले अपने ससुर को सैल्यूट किया। सरिता कहती हैं “ये सैल्यूट उनका हक था, उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया।”
प्रोफेसर से बनी NCC अफसर
साल 2019 में सरिता ने बाड़मेर गर्ल्स कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नौकरी शुरू की। अगले ही साल कॉलेज में एनसीसी गर्ल्स विंग खोली गई और उसका चार्ज सरिता को दिया गया। तभी से उन्होंने ठान लिया कि बच्चों को सही ट्रेनिंग और अनुशासन देने के लिए उन्हें खुद भी ट्रेनिंग लेनी होगी। दो बार इंटरव्यू दिए पहली बार नहीं जा सकीं लेकिन सितंबर 2024 में चयन हो गया और जुलाई 2025 से उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई।
ट्रेनिंग में सीखे कई हुनर
OTA ग्वालियर में सरिता को हथियार चलाना, बैटल क्राफ्ट, फील्ड क्राफ्ट, CPR जैसी कई अहम ट्रेनिंग दी गईं। अब वह चाहती हैं कि जो सीखा है उसे अपने कैडेट्स तक पहुंचाएं। सरिता का सपना है कि बाड़मेर की लड़कियां एनसीसी के जरिए देशभक्ति, अनुशासन और आत्मविश्वास सीखकर करियर में आगे बढ़ें।
परिवार का मजबूत सहारा
सरिता का पैतृक गांव बाड़मेर का कोलू है लेकिन पढ़ाई जोधपुर में हुई। पिता ने हमेशा बेटियों की शिक्षा पर जोर दिया। शादी के बाद भी उन्हें ससुराल से पूरा समर्थन मिला। सरिता बताती हैं “मेरी बड़ी बेटी ने ट्रेनिंग पर जाने से पहले मुझे गले लगाकर कहा था – मम्मी आप जाओ, बेस्ट ऑफ लक। उस पल मुझे सबसे ज्यादा हिम्मत मिली।”
बचपन का सपना हुआ पूरा
सरिता बताती हैं कि बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने और कंधे पर तारे लगाने का सपना था। स्कूल में जब उन्होंने आर्मी अफसरों को देखा तभी से उनके दिल में यह ख्वाहिश जागी थी। आज एनसीसी में लेफ्टिनेंट बनकर उनका यह सपना पूरा हो गया।