प्रधानाचार्य-उपप्रधानाचार्य की भारी कमी से जूझ रहे स्कूल

जैसलमेर जिले की शैक्षणिक व्यवस्थाएं नेतृत्व संकट से जूझ रही हैं। जिले में 281 स्वीकृत प्रधानाचार्य पदों में से 131 रिक्त हैं, जबकि उपप्रधानाचार्य के 164 पदों में से 140 पद खाली हैं। यानी अधिकांश सरकारी स्कूल बिना स्थायी नेतृत्व के चल रहे हैं। परिणामस्वरूप संचालन व्यवस्था चरमराई हुई है और शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यभार आ गया है। शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले के 281 स्वीकृत प्रधानाचार्य पदों में से महज 150 पर ही पदस्थापन हो पाया है। बाकी के 131 स्कूल ऐसे हैं, जहां स्थायी प्रधानाचार्य नहीं है। यही स्थिति उपप्रधानाचार्य पदों की है, जहां 164 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से केवल 24 पर ही अधिकारी कार्यरत हैं। बाकी 140 स्कूलों में यह पद खाली पड़े हैं। इन रिक्तियों के चलते स्कूलों में संचालन की जिम्मेदारी वरिष्ठ शिक्षकों को दी जा रही है, जो पढ़ाने के साथ-साथ प्रशासनिक कार्य भी संभाल रहे हैं। इससे न तो शिक्षण की गुणवत्ता पर ध्यान रह पाता है और न ही स्कूलों में अनुशासन की व्यवस्था सुचारू रूप से चल पा रही है।

हकीकत यह भी

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सम उपखंड में 41, फतेहगढ़ में 36 और भणियाना में 28 प्रधानाचार्य पद रिक्त हैं। इन उपखंडों में तो कुछ ऐसे स्कूल भी हैं, जहां लंबे समय से न तो प्रधानाचार्य की नियुक्ति हुई और न ही उपप्रधानाचार्य का पद भरा गया। पद रिक्त होने का सबसे बड़ा कारण लंबे समय से भर्ती प्रक्रिया का न चलना है। एक तरफ बड़ी संख्या में वरिष्ठ अध्यापक प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, दूसरी ओर नए प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती भी वर्षों से ठप है। जानकारों का मानना है कि यह स्थिति न केवल स्कूल संचालन बल्कि बोर्ड परीक्षा परिणामों पर भी असर डालती है। स्कूलों की निगरानी, शिक्षक उपस्थिति, विद्यार्थियों की प्रगति और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे विषयों पर नियंत्रण कमजोर पड़ गया है।

समाधान भी संभव

शिक्षा विभाग इस संकट को गंभीरता से लेते हुए विशेष भर्ती प्रक्रिया चलाए।

पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे वरिष्ठ शिक्षकों को प्राथमिकता देते हुए रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जाएं।