राजेश शर्मा
झुंझुनूं। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में चल रहे मनमर्जी के खेल के चलते छात्र-छात्राओं की संख्या घट रही है। तबादलों के लिए कोई साफ नीति नहीं होने के कारण कहीं शिक्षकों का टोटा है तो कहीं बालक कम व पढ़ाने वाले शिक्षक ज्यादा हैं।
राजस्थान में कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां बालकों की संख्या एक से दस के बीच हैं। पढ़ाने वाले कहीं बच्चों के बराबर हैं तो कहीं बच्चों से ज्यादा। हैरान कर देने वाली बात ये है कि झुंझुनूं जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जहां पढ़ने के लिए सिर्फ एक बच्चा आता हैं। इससे भी बड़ी बात ये है कि इस स्कूल में छह शिक्षक कार्यरत हैं।
कहीं नामांकन शून्य तो कहीं पढ़ने आते हैं एक या दो बच्चे
केस एक: शिक्षा निदेशक को छह मई को भेजी रिपोर्ट के अनुसार झुंझुनूं के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल बुधराम की ढाणी में बालक एक हैं। यहां छह शिक्षक कार्यरत हैं। अगर हिसाब लगाया जाए तो छह शिक्षकों के वेतन सहित इस बालक पर सालाना लगभग अस्सी लाख रुपए सरकार खर्च कर रही है। अस्सी लाख में तो यह बालक विश्व के श्रेष्ठ स्कूल में पढ़े तो भी सरकार की इतनी राशि खर्च नहीं हो।
केस दो: श्रीगंगानगर जिले श्रीकरणपुर ब्लॉक के गांव 14 एफ के राजकीय प्राथमिक स्कूल में दो बालकों का नामांकन है, यहां दो शिक्षक कार्यरत हैं। सरकार दो बालकों पर हर साल लगभग दस से पंद्रह लाख रुपए खर्च कर रही है। पहले तो यहां एक ही बालक था।
केस तीन: नागौर जिले में ऐसे 10 स्कूल हैं, जहां नामांकन एक या शून्य है। इन स्कूलों में कुल 19 शिक्षक कार्यरत हैं, एक स्कूल ऐसा है, जहां शून्य नामांकन है और एक शिक्षक कार्यरत है, बाकि 9 स्कूलों में दो-दो शिक्षक कार्यरत हैं। इन 19 शिक्षकों का मासिक वेतन औसतन 12 से 13 लाख रुपए है।
झुंझुनूं में 19 स्कूल, छात्रों की संख्या दस से भी कम
अकेले झुंझुनूं जिले में उन्नीस सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां बालकों की संख्या दस से कम है। सोचने वाली बात यह है कि इन्हीं स्कूलों के निकट निजी स्कूलों में नामांकन अच्छा है। सरकारी स्कूलों में वेतन पचास हजार से एक लाख के बीच है, जबकि निजी स्कूलों के अनेक शिक्षकों का वेतन औसत पांच से दस हजार रुपए मासिक है।
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सरकार करे मंथन
प्रदेश में शिक्षा अधिकारियों के आधे से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं जिससे प्रभावी मोनिटरिंग नहीं हो रही। शिक्षकों को अनेक प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने एवं कई जगह शिक्षकों का समाज से जुडाव कम होने के चलते स्कूलों में प्रतिकूल परिणाम देखने को मिल रहे हैं। सरकार को गभीरता से मन्थन करना चाहिए। स्कूलों की दशा सुधारने से समाज को फ़ायदा मिलेगा।
-उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)
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