गलता तीर्थ स्थान के पास रह रहे बंदरों में चर्म रोग फैल रहा है। स्थिति ऐसी है कि बंदरों की तड़प-तड़पकर जान जा जा रही है। कई बंदरों के शरीर से चमड़ी उतर रही है और उससे खून भी रिस रहा है। बंदरों की ऐसी हालत देखकर स्थानीय लोगों में रोष है। उनका कहना है कि वन विभाग, पशुपालन विभाग के अफसरों की अनदेखी के कारण यह बीमारी फैल रही है। जानकारी के अनुसार रोग के कारण गलता तीर्थ के आस-पास रह रहे कई बंदर सही तरीके से चल भी नहीं पा रहे। बाल झड़ गए और चमड़ी भी शरीर छोड़ रही है। कई बंदरों के शरीर से तो खून तक रिसता दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक छह बंदरों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में यहां बंदरों में इस बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टीम ने बीमार बंदरों को रेस्क्यू कर इलाज करना शुरू कर दिया है। अब तक तीन बंदरों को रेस्क्यू किया गया है। उनको वन विभाग के गलता नाका पर अलग रखकर इलाज किया जा रहा है।
सेहत से नहीं करें खिलवाड़
वन विभाग के वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अशोक तंवर का कहना है कि यह हाइपरकेरोटोसिस नामक बीमारी है। जो बंदरों में फैल रही है। यह बीमारी ज्यादा मीठा खिलाने से फैल रही है। इस तरह के केस तीर्थ के आसपास रह रहे बंदरों में ही देखे जाते हैं। लोगों से अपील है कि बंदरों का मूल भोजन कंद, मूल, फल, गाजर, मूली, सब्जियां ही हैं लेकिन धर्मार्थ की भावना से उन्हें मिश्री, लड्डू, चूरमा, मखाने इत्यादि मीठा खिला देते हैं। इस वजह से यह बीमारी फैल रही है। उन्हें मीठा न खिलाकर इससे बचाया जा सकता है।