जिसका कोई नहीं उसका खुदा है यारो, मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारो…। कवि की यह पंक्तियां सटीक बैठती है कठौती के 28 वर्षीय संपत प्रजापत के परिवार पर। संपत की हृदयाघात से सऊदी अरब में मौत हो गई है। उसका शव 7 जनवरी को कठौती लाकर अंतिम संस्कार किया। वह घर में अकेला कमाने वाला था। संपत की मौत के बाद परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है। गांव के ही युवाओं के संगठन शहीद मूलाराम सेवा समिति ने इस दु:ख को समझा और आर्थिक मदद के लिए आगे आए हैं। समिति के सदस्यों ने अब तक 19 लाख रुपए एकत्रित कर परिवार के नाम एफडी कराई, ताकि वे अपना घर खर्च चला सकें। साथ ही समिति से जुड़े युवाओं ने आगे भी हर संभव मदद का भरोसा दिया है।
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युवाओं ने बढ़ाया हाथ, कारवां बढ़ता चला गया
संपत के परिवार के हाल जब शहीद मूलाराम सेवा समिति के सदस्यों को पता चले तो मदद के लिए मुहिम छेड़ी है। देखते ही देखते मदद के लिए राशि एकत्र होती गई। समिति में करीब तीन सौ युवा जुड़े हुए हैं। इन्होंने मिलकर भामाशाहों, प्रवासी भारतीयों से मदद के रूप में 19 लाख रुपए जमा किए, इसकी संपत के दोनों भाइयों के नाम एफडी कराई है। समिति के युवाओं ने मिसाल पेश की है।
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इसे ऊपरवाले का कहर नहीं कहें तो क्या
28 वर्ष की उम्र में संपत प्रजापत दस माह पहले ही कमाने सऊदी अरब गया था, ताकि कुछ पैसा परिवार के लिए जमा कर सकें। लेकिन हृदयाघात से उसकी मौत हो गई। उसके पिता की 6 साल पहले और मां की 2 साल पहले मौत हो चुकी है। घर में एक 18 साल का भाई हीरालाल गंभीर बीमारी से ग्रसित है। एक भाई 16 साल का है जो पढ़ाई छोड़कर काम की तलाश में फिर रहा है। पत्नी के अलावा घर में 3 साल की बेटी और 9 माह का बेटा है। इसे ऊपरवाले का कहर ही कहेंगे कि संपत की एक आठ साल की बेटी की भी सड़क हादसे में एक साल पहले मौत हो चुकी है।