नोताडा. क्षेत्र में अगस्त माह में अतिवृष्टि से आए बाढ़ के कारण खेडिया दुर्जन, पचीपला, कोथा सहित अन्य गांवों में कई लोगों के बिगड़े हालात अब तक सुधरे नहीं थे और फिर से दो दिन से जारी बरसात का दौर जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है।
इन गांवों में बाढ पीड़ित जिनके घर व फसलें सबकुछ पहले ही तबाह हो चुकी थी। वह व्यक्ति अब तिरपालों की टपरियां बनाकर या टीनशेड के छप्पर बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन अभी दो दिन से जारी तेज हवाओं के साथ बरसात की बौछारें इनकी टपरियों में आर पार हो जाती है। यह लोग चारों ओर से तिरपाल लगाकर उससे बचने का प्रयास कर रहे हैं। बाढ पीड़िता सुगना बाई मीणा ने बताया कि बाढ़ में कच्चा घर ढह गया था, जो अब तिरपाल की टपरी बनाकर अपने पति व दो बच्चों के साथ रह रही है। घर खर्च चलाने के लिए दो भैंसे थे वह भी ओने पौने दामों में ही बेच दी।
उधर बाढ़ पीड़ित गोपीचंद सुमन, कोशल्या सुमन खेडीया दुर्जन, मुकेश केवट पचीपला आदि ने बताया कि हमारे मकान तो बाढ़ में बह चुके थे। तिरपालों का सहारा लेकर रह रहे हैं और इस वक्त की बारिश जले पर नमक छिड़कने जैसी साबित हो रही है। अब आगे सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है तो चिंता सताने लगी है।
पशु भी ओने पौने दाम में ही बेच दिए
ग्रामीण रामचरण मीणा ने बताया की कुछ बाढ़ पीड़ितों के तो मकानों के साथ चारा भी बह जाने के कारण और अपना घर चलाने के लिए मवेशी भी ओने पौने दामों में ही बेच दिए तो कुछ ने ऐसे ही छोड़ रखे हैं।