जैसलमेर से सम तक हाउसफुल…रेलवे स्टेशन से सामुदायिक भवनों के बरामदों तक रात में बसेरा

दीपावली पर्व ने जैसलमेर पर्यटन की वास्तविकता में दिवाली कर दी है। दिवाली के दूसरे दिन से मुख्य रूप से गुजरात के विविध शहरों के आए हजारों सैलानियों के सैलाब से पीत पाषाणों से निर्मित स्वर्णनगरी खचाखच भर गई है और जैसलमेर के होटलों से लेकर सम-खुहड़ी के रिसोट्र्स में नो रूम के हालात हैं। सैलानियों को दो से तीन गुना तक ज्यादा किराया देकर कमरों में ठहरने या घूमने-फिरने का लुत्फ उठाना पड़ रहा है। इसके बावजूद बीती रात उन्हें शहर से लेकर सम तक में ठहराव के लिए कमरा नहीं मिला तो उन्होंने रेलवे स्टेशन के लाउंज से लेकर शहर में सामुदायिक भवनों के बरामदों व छतों पर किसी तरह रात बिताई। इसके अलावा शहर के रेस्टोरेंट्स में सैलानियों को भोजन के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है। मध्यरात्रि में पहुंचने वाले सैलानियों को तो रेस्टोरेंट्स चलाने वाले हाथ जोड़ कर मनाही कर रहे हैं। इसी तरह से सैलानियों के लाए गए वाहनों से शहर के तीनों पार्किंग स्थल छोटे पड़ गए और जगह-जगह सडक़ों के किनारे वाहन खड़े किए जा रहे हैं। इसके अलावा बाहरी क्षेत्र की सडक़ों से लेकर भीतरी भागों में मार्ग जाम हो रहे हैं। टैक्सियों व कारों तथा बसों के आमने-सामने आ जाने से काफी देर तक पैदल राहगीरों से लेकर दुपहिया वाहन चालकों को मार्ग सुगम होने का इंतजार करना पड़ रहा है।

आरजे से ज्यादा जीजे नम्बर के दिख रहे वाहन

हर बार दिवाली के अगले रोज यानी गोवद्र्धन पूजा के दिन से गुजराती सैलानी जैसलमेर में उमड़ पड़ते हैं, ऐसा ही इस बार भी हुआ। दिवाली की रात से ही सैलानियों की आवक का दौर शुरू हो गया, जो अगले दिन परवान पर चढ़ गया। वहीं अपार भीड़ का मंजर भैया दूज यानी गत गुरुवार को नजर आया। जैसलमेर में राजस्थान पासिंग यानी आरजे से ज्यादा गुजरात राज्य के जीजे नम्बरों वाले चार पहिया वाहनों की भीड़ नजर आ रही है। शहर में जहां भी देखो, वहां देशी सैलानी ही दिखाई दे रहे हैं। पर्यटन स्थलों के अलावा शहर के बाजारों व गलियों-मोहल्लों तक में दिन से रात तक चहल-पहल का मंजर बना हुआ है। गुजराती सैलानी इतनी तादाद में आए हैं कि स्वर्णनगरी एक तरह से मिनी गुजरात ही बन गया है।

किले की राह हुई दुर्गम

सैलानियों की भारी भीड़ की वजह से सबसे ज्यादा जाम की स्थिति ऐतिहासिक सोनार दुर्ग की घाटियों में देखने को मिल रही है। पुलिस ने भारी भीड़ को देखते हुए वर्तमान में दोपहर बाद तक दुपहिया वाहनों तक की आवाजाही पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद सुबह 9 से सायंकाल तक तक दुर्ग की घाटियों में चढऩा-उतरना मुश्किल हो गया है। अखे प्रोल के बाहर से ही हजारों सैलानियों के अंदर-बाहर होने के कारण जाम के हालात बनने शुरू होते हैं, जो दुर्ग के पूरे मार्ग से लेकर दशहरा चौक तक में नजर आते हैं। सैलानियों के साथ स्थानीय लोगों को आवाजाही में सबसे ज्यादा दिक्कत सूरज प्रोल, गणेश प्रोल व हवा प्रोल में पेश आ रही है। सोनार किला स्थित म्यूजियम, हवेलियों और सिटी व्यू पॉइंट से लेकर जैन मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर व अन्य गलियों में भरपूर सैलानी नजर आ रहे हैं।

फोटोग्राफी का सबसे ज्यादा क्रेज

सैलानियों में पीत पाषाणों से निर्मित ऐतिहासिक स्थलों पर फोटोग्राफी करने का आकर्षण सर्वाधिक नजर आ रहा है। इसके अलावा सोशल मीडिया के लिए रील और वीडियो बनाना उनकी प्राथमिकता में शुमार है। सम के लहरदार धोरों में ऊंट व जीप सफारी करना उन्हें खूब रास आ रहा है। सूर्यास्त के समय धोरों में जहां तक नजर जा रही है, पर्यटक ही दिखाई दे रहे हैं। शहर के सैकड़ों साल प्राचीन कलात्मक गड़ीसर सरोवर और दर्शनीय पटवा हवेलियों का भ्रमण तथा वहां अलग-अलग स्थानों पर फोटोग्राफी करने का क्रेज जबर्दस्त बना हुआ है। पर्यटकों की इतनी तादाद में आवक से पर्यटन क्षेत्र में खुशी की लहर है।