उद्योगों को झटका : बिजली हुई एक रुपए यूनिट तक महंगी

राज्य विद्युत विनियामक आयोग की ओर से जारी नए टैरिफ ने प्रदेश के उद्योगों और आम उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। आयोग ने भले ही फ्यूल सरचार्ज को समाप्त कर राहत देने का दावा किया हो, लेकिन इसके बदले एक रुपए प्रति यूनिट का रेगुलेटरी सरचार्ज लगा दिया गया है। साथ ही फिक्स चार्ज भी 100 रुपए तक बढ़ा दिए गए है। इससे बिजली की दरें पहले से 40 पैसे से लेकर 1.25 रुपए प्रति यूनिट तक महंगी हो गई हैं।

फ्यूल सरचार्ज खत्म, रेगुलेटरी सरचार्ज लगा

पहले तिमाही आधार पर 10 से 30 पैसे यूनिट तक फ्यूल सरचार्ज लगता था। अब आयोग ने इसे हटाकर 1 रुपए प्रति यूनिट रेगुलेटरी सरचार्ज थोप दिया। यानी अब आम उपभोक्ताओं से लेकर उद्योगों तक सभी पर 70 से 90 पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त भार पडे़गा।

उद्योगों पर बढ़ा बोझ

एक एमवी के उद्योगों पर पहले 6.30 रुपए प्रति यूनिट लागत थी, अब बढ़कर 6.50 रुपए प्रति यूनिट हो गई।

फिक्स चार्ज 300 से बढ़ाकर 380 रुपए प्रति केवी कर दिया गया। दोनों को मिलाकर 28 पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त भार। साथ ही रेगुलेटरी सरचार्ज जोड़ने पर उद्योगों को 98 पैसे से लेकर 1.18 रुपए यूनिट तक महंगी बिजली मिलेगी। अनुमान है कि केवल भीलवाड़ा के टेक्सटाइल उद्योगों पर ही सालाना लाखों रुपए का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा।

सोलर प्लांट पर नया पीओसी चार्ज

राज्य विद्युत आयोग ने सोलर व अन्य पावर प्लांट्स पर नया प्वाइंट ऑफ कनेक्शन (पीओसी) चार्ज लगाया है। कैप्टिव सोलर पावर पर 11.90 रुपए प्रति केवी प्रतिमाह। अन्य सोलर पर 27.23 रुपए प्रति केवी प्रतिमाह लगाया है। भीलवाड़ा में स्थापित रूफटॉप सोलर प्लांट पर इसका सीधा असर पड़ेगा। अनुमान है कि अकेले यहां सालाना करीब 4.50 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा।

गुणवत्ता वाली बिजली नहीं

उद्यमियों का कहना है कि जब अतिरिक्त चार्ज व सरचार्ज लगाए ही जा रहे हैं, तो बदले में बिजली की गुणवत्ता सुधरनी चाहिए। वोल्टेज में उतार-चढ़ाव, बार-बार सप्लाई बाधित होना। अत्याधुनिक उपकरणों के खराब होने का खतरा रहता है। इन समस्याओं से उद्योगों को पहले से ही भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।इसके अलावा ग्रीड पर स्टाफ तक नहीं है। वर्तमान में सभी ग्रिड 40 प्रतिशत स्डाफ के भरोसे चल रहे है।

टाइम ऑफ द डे (टीओडी) में भी असंतोष

दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक 10 प्रतिशत छूट दी गई है, लेकिन उद्योगों के लिए यह बेकार है क्योंकि इस दौरान सोलर प्लांट से ही अधिकांश आपूर्ति हो जाती है। पीक आवर्स सुबह 6 से 8 व शाम 6 से रात 10 बजे में 5 से 10 प्रतिशत अधिभार लगाया गया है। उद्योग जगत ने इसे अनुचित बताया है।

उद्योग जगत में विरोध की लहर

राज्यभर के औद्योगिक संगठनों ने मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री और उद्योग मंत्री को प्रतिवेदन भेजकर इस भारी बढ़ोतरी को तुरंत वापस लेने की मांग की है। घरेलू उपभोक्ताओं पर 50 पैसे और औद्योगिक इकाइयों पर 1 रुपए से अधिक का बोझ डालना अनुचित है। गुणवत्ता सुधारे बिना दरें बढ़ाना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है।

आरके जैन, महासचिव, मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री