एमएलवी राजकीय महाविद्यालय के भूगोल विभाग की ओर से आयोजित राजस्थान भूगोल परिषद के तीन दिवसीय 51वें राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि सांसद दामोदर अग्रवाल और नगर निगम के महापौर राकेश पाठक रहे।
सांसद अग्रवाल ने कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक विषय है। जब दुनिया पृथ्वी और अंतरिक्ष को समझ नहीं पाई थी, तब भारतीय मनीषियों ने इसे भूगोल-खगोल नाम दिया। भारत अपनी सकारात्मक सोच और नवीन तकनीकों के दम पर वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आह्वान किया।
पर्यावरणीय चुनौतियों पर होगा मंथन
आयोजन सचिव डॉ. काश्मीर भट्ट ने थीम ‘विकसित भारत 2047 : पर्यावरणीय चुनौतियां और समाधान’ पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय मंथन निश्चित ही पर्यावरणीय समस्याओं के निदान में कारगर साबित होगा। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. संतोष आनंद ने कहा कि यह सम्मेलन भूगोल के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को नए दृष्टिकोण देगा।
धरती मेरा घर, विश्व मेरा परिवार
परिषद के महासचिव डॉ. श्याम सुंदर भट्ट ने कहा कि यदि हम पृथ्वी को घर और विश्व को परिवार मान लें तो पर्यावरण के प्रति हमारी दृष्टि स्वतः बदल जाएगी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना मानव जाति के लिए खतरनाक साबित होगा। उन्होंने परिषद की स्थापना से लेकर हीरक जयंती तक की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।
विकास और पर्यावरण का संतुलन जरूरी
परिषद अध्यक्ष चंद्रविजय ढाबरिया ने प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई और विद्वानों से ऐसे अनुसंधान की अपील की, जिससे विकास के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।
तकनीकी सत्रों के मुख्य आकर्षण
डॉ. हरिमोहन सक्सेना ने प्रो. अमरेंद्र नाथ भट्टाचार्य स्मृति व्याख्यान दिया। शिक्षा मंत्री के विशेषाधिकारी सुनील दाधीच ने नदी-झील संरक्षण पर शोध पत्र पेश किया। नसीराबाद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. मिलन यादव ने विशेष शोध पत्र प्रस्तु किया। तीन तकनीकी सत्रों में शोधार्थियों ने प्रस्तुत किए अपने शोध पत्र पर चर्चा की गई।