जयपुर। राजस्थान में खानों की नीलामी के साथ ही खनन शुरू करने को लेकर राज्य सरकार प्री-एम्बेडेड मॉडल लागू करने जा रही है। इसके तहत खान विभाग खानों की नीलामी करने से पहले अपने स्तर पर सभी प्रकार की संबंधित विभागों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेगा, जिससे खान नीलामी होते ही खनन कार्य जल्द शुरू हो सके।
विभाग का दावा है कि ऐसा करने वाला राजस्थान पहला राज्य होगा। पहले चरण में मेजर मिनरल की पांच खानों की नीलामी होगी। चयनित खान ब्लॉकों के लिए जरूरी अनुमतियां लेने की जिम्मेदारी राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (आरएसएमईटी) को सौंपी गई है। वर्तमान व्यवस्था में खानों की नीलामी करने के बाद खनन कार्य शुरू करने में तीन साल तक लग जाते हैं। इससे निवेश, रोजगार और राजस्व भी प्रभावित होता है।
खान मंत्रालय की पहल, देशभर में प्रक्रिया शुरू
खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि केन्द्रीय खान मंत्रालय ने एमएमडीआर एक्ट में संशोधन कर सभी राज्यों से प्राथमिकता के आधार पर पांच-पांच ब्लॉक तैयार कर इनकी जरूरी सभी अनुमतियां पहले से ही प्राप्त कर नीलाम करने को कहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के निर्देशों के तहत राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (आरएसएमईटी) को पीएमयू घोषित कर आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की जिम्मेदारी दी गई है।
शीघ्र खनन से निवेश और रोजगार में आएगी तेजी
खान विभाग ने प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की जियोलोजिकल रिपोर्ट, ब्लॉकों का सीमांकन, डीजीपीएस सर्वे सहित आवश्यक औपचारिकताएं आरएसएमईटी की ओर से पूरी कर ली गई हैं। जल्द अन्य अनुमतियां प्राप्त कर प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की सबसे पहले नीलामी करने वाला संभवतः राजस्थान पहला प्रदेश बन जाएगा। प्री-एम्बेडेड का अर्थ है कि खानों की नीलामी से पहले ही जरूरी अनुमतियां प्राप्त कर लेना। शीघ्र खनन से निवेश और रोजगार में तेजी आएगी।
खनन शुरू करने के लिए यह अनुमति जरूरी
खान संचालक अभी तक की प्रक्रिया के तहत पहले खानों की नीलामी में खरीद करते हैं। खान मिलने के बाद खनन शुरू करने से पहले तमाम विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने जरूरी होते हैं। उसी के बाद खनन शुरू हो सकता है। इसके लिए वन विभाग, पर्यावरण विभाग, प्रदूषण बोर्ड, राजस्व विभाग आदि से अनुमति लेनी होती है।