सुदूरवर्ती क्षेत्रों में हालात और बदतर: शिक्षकों की खाली कुर्सियां, सरकारी विद्यालयों में 2699 पद रिक्त

जैसलमेर जिले के राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक स्टाफ की भारी कमी शिक्षा की गुणवत्ता पर गहरा असर डाल रही है। शाला दर्पण पोर्टल पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार, जिले में कुल 7857 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से केवल 5158 पदों पर ही कर्मचारी कार्यरत हैं। इस प्रकार 2699 पद रिक्त चल रहे हैं, जो कुल स्वीकृत पदों का 34.3 प्रतिशत है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब इन रिक्तियों को उपखंडवार देखा जाए। सम ब्लॉक में 1463 पदों में से 605 खाली हैं, जो कि 41.3 प्रतिशत रिक्तता को दर्शाता है। इसी तरह फतेहगढ़ ब्लॉक में 1365 में से 504 पद रिक्त हैं और भणियाना में 1315 में से 473 पद खाली हैं। ये तीनों क्षेत्र जिले के प्रभावित ब्लॉक्स में शामिल हैं, जहां बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सबसे बड़ी बाधा स्टाफ की अनुपलब्धता है।

हकीकत यह भी

पोकरण उपखंड में 1425 स्वीकृत पदों में से 1035 कार्यरत हैं और रिक्त पदों की संख्या 390 है, जो जिले की औसत रिक्तता से कुछ बेहतर है। जिला मुख्यालय में भी 1224 में से 853 पद भरे हुए हैं और 371 पद खाली हैं। रिक्तियों का यह असंतुलन केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य, कंप्यूटर अनुदेशक और लैब असिस्टेंट जैसे प्रशासनिक और तकनीकी पदों पर भी भारी कमी है। इससे स्कूलों में न तो अनुशासनात्मक व्यवस्था सुदृढ़ रह पाती है और न ही डिजिटल और प्रयोगात्मक शिक्षा की प्रभावी व्यवस्था हो पाती है।

इनकी भी है दरकार

पत्रिका पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में नियुक्त शिक्षकों को पर्याप्त सुविधाएं, आवास, विशेष भत्ते और स्थानांतरण स्थायित्व जैसे प्रोत्साहन देने की दरकार है, ताकि योग्य स्टाफ इन क्षेत्रों में लंबे समय तक टिक सके।