रामदेवरा कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी में डीप फ्रीजर की सुविधा नहीं होने से शवों को सुरक्षित रखना बड़ा संकट बना हुआ है। पोस्टमार्टम कक्ष में आधुनिक उपकरणों का अभाव है, जिससे हादसों या अज्ञात शवों की शिनाख्त तक सुरक्षित रखने में परेशानी आती है। पुलिस को अक्सर शवों को सुरक्षित रखने के लिए 12 किमी दूर पोकरण उपखंड मुख्यालय भेजना पड़ता है, जहां उप जिला अस्पताल में ही एकमात्र डीप फ्रीजर की व्यवस्था है। रामदेवरा जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल पर चिकित्सा सुविधाओं की यह कमी सवाल खड़े करती है।
अस्पताल परिसर में एक छोटा मोर्चरी कक्ष संचालित है, लेकिन उसमें न तो शीतक रूम है और न ही डीप फ्रीजर। ऐसे में ट्रेन हादसे या सडक़ दुर्घटनाओं में मिले शवों की पहचान में देर होने पर उन्हें बर्फ में रखने या पोकरण भेजने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचता।
अज्ञात शव की शिनाख्त के लिए नियमानुसार 72 घंटे इंतजार किया जाता है। इस दौरान शव को सुरक्षित रखना अनिवार्य होता है। यदि पहचान नहीं हो पाती है, तो ग्राम पंचायत की मदद से अंतिम संस्कार किया जाता है।
दुर्घटनाओं के मामलों में शव के पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को पहले रामदेवरा, फिर पोकरण और वापस रामदेवरा आना पड़ता है। इससे समय, श्रम और धन की हानि होती है और मानसिक पीड़ा भी बढ़ती है।
रामदेवरा को हाल ही में पीएचसी से सीएचसी में क्रमोन्नत किया गया, लेकिन सुविधाएं अब भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी ही हैं।
यह है स्थिति
रामदेवरा में साल भर आते हैं 50 से 60 लाख श्रद्धालु
-शवों की शिनाख्त के लिए अनिवार्य होता है 72 घंटे तक सुरक्षित रखना
डीप फ्रीजर नहीं होने से शव भेजने पड़ते हैं पोकरण
हर साल दर्जनों दुर्घटना, फिर भी अधूरी व्यवस्था
नहीं है व्यवस्था
वर्तमान में मोर्चरी कक्ष में शव सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रीजर की कोई व्यवस्था नहीं है।
भवानीसिंह तंवर, प्रभारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामदेवरा