Famous tigress Arrowhead Died: एरोहेड के नाम से मशहूर और निडर मगरमच्छ का शिकार करने वाली मशहूर बाघिन टी-84 ने गुरुवार को रणथंभौर के जोगी महल के पास अंतिम सांस ली। टीम ने शव को कब्जे में लिया। वन अधिकारियों ने बताया कि बाघिन टी-84 यानी एरोहैड डेढ़ साल से अधिक समय से बोन ट्यूमर की बीमारी से जूझ रही थी। रणथंभौर टाइगर रिजर्व के राजबाग में एरोहेड के शव का अंतिम संस्कार किया गया।
फिर भी बाघिन एरोहेड काफी समय तक जीवित रही और अपने छोटे शावकों का लालन-पालन किया। बाघिन की उम्र 16 साल के आस-पास थी। उसके तीनों शावक शिफ्टिंग के साथ ही रणथम्भौर के लिए इतिहास बन गए। ऐरोहेड रणथम्भौर की प्रसिद्ध बाघिन मछली यानी टी-16 की वंशज है।
ऐसे नाम पड़ा ‘एरोहेड’
पिछले कुछ सालों तक बाघिन एरोहेड जोन 2, 3, 4 और 5 में राज कर रही थी। जिसे कईयों बार राजबाग झील और नलघाटी क्षेत्रों के आस-पास देखा जाता था। वह मगरमच्छों को मारने की अपनी दुर्लभ क्षमता के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध थी। टी-19 कृष्णा (बाघिन मछली का वंशज) और नर टी-28 स्टार से जन्मी एरोहेड मार्च 2014 में जन्मी। उसके बाएं गाल पर विशिष्ट तीर के आकार के निशान के कारण उसका नाम एरोहेड रखा गया था।
एक ओर वन विभाग बाघिन टी-84 यानी एरोहेड की बेटी कनकटी को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया। 16 अप्रैल को त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पास 7 वर्षीय बालक कार्तिक सुमन व इसके बाद 11 मई को कनकटी ने वन रेंजर देवेंद्र चौधरी पर हमला किया। जिसमें दोनों की मौत हो गई।