अलवर. सिलीसेढ़ में बोरिंग कर अलवर शहर को पानी देने का विरोध गुरुवार को सड़कों पर आ गया। मिनी सचिवालय प्रदर्शन के लिए आ रहे दर्जनों गांवों के किसानों को प्रशासन ने ढाई पैढ़ी पर रोक दिया। किसानों ने यहीं नारेबाजी व प्रदर्शन किया। प्रशासन के अफसर किसानों को मनाने में दिनभर जुटे रहे, लेकिन दो वार्ता विफल हो गई। शाम को जिला कलक्टर आर्तिका शुक्ला के साथ किसानों की वार्ता हुई, तो नतीजा निकल आया। प्रशासन ने कह दिया कि वह सरकार को सिलीसेढ़ में बोरिंग लगाने के इस विरोध के बारे में प्रस्ताव भेजेंगे। बोरिंग की जगह दूसरा विकल्प तलाशने के लिए कहा गया है। अन्य मांगों को भी सरकार को अवगत कराने के लिए पत्र भेजा गया है। इस आश्वासन के बाद किसानों ने अपनी जीत का जश्न मनाया। कहा कि 7 घंटे का विरोध-प्रदर्शन काम आया। किसानों का धरना समाप्त हो गया है।सिलीसेढ़ में करीब 21 दिन से किसान व ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को किसानों का आक्रोश बढ़ा तो किसान नेता प्रेम पटेल, वीरेंद्र मोर, रामजीलाल, भोला राम, सपाट मैनेजर आदि के नेतृत्व में करीब 250 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ सिलीसेढ़ से किसान काफिले के रूप में मिनी सचिवालय आ रहे थे। प्रशासन ने भारी फोर्स के साथ उन्हें बेरिकेडिंग करके अहिंसा सर्किल (ढाईपैड़ी) पर रोक दिया। कुछ युवा किसान बेरिकेडिंग पार करने की कोशिश करते रहे, लेकिन फोर्स ने उन्हें नीचे उतार दिया। किसानों ने वही पर पड़ाव डाल दिया और सभा की।मांगों के समाधान के लिए 3 घंटे तक नहीं आया ड्राफ्ट
किसान नेताओं ने कहा कि बोरिंग करने का प्रस्ताव निरस्त नहीं किया जा रहा है, जबकि कई बार वार्ता हो चुकी है। अब किसान चुप बैठने वाला नहीं है। यह एक ट्रायल है। आगे और उग्र प्रदर्शन करेंगे। किसानों ने प्रशासन को आधे घंटे में ज्ञापन लेकर समस्या समाधान के लिए ड्राफ्ट तैयार करके मांगा। मौका मजिस्ट्रेट योगेश डागुर, एसडीएम अलवर यशार्थ शेखर ने किसानों को ड्राफ्ट जारी करवाने का आश्वासन दिया, लेकिन प्रशासन की ओर ड्राफ्ट शाम चार बजे तक नहीं आया। प्रशासन ने संदेश किसानों को भेजा कि वह जिला कलक्टर के साथ आकर वार्ता कर लें। लेकिन किसान नहीं गए। आखिर में एडीएम सिटी बीना महावर भी धरना स्थल पर पहुंची। उनके साथ प्रतिनिधि मंडल मिनी सचिवालय आया। किसानों की मांगों पर सहमति जताई गई। फिलहाल सिलीसेढ़ में बोरिंग करने का प्रस्ताव टाल दिया गया है। सरकार से आगे जो भी आदेश मिलेंगे, प्रशासन उस पर काम करेगा। शाम को किसान नेता प्रेम पटेल ने किसानों से प्रदर्शन स्थल पर धरना खत्म करने के लिए कहा और किसान अपने घरों को लौट गए।
रोडवेज बसों को बदले मार्ग से चलाया, ट्रैक्टरों से 7 घंटे मार्ग जामजयपुर मार्ग से वाहन अलवर शहर आते हैं, लेकिन प्रशासन ने किसानों के प्रदर्शन के चलते मार्ग डायवर्ट कर दिया। रोडवेज की बसों समेत अन्य वाहन नहीं आने दिए गए। जनता परेशान रही। दोपहिया वाहन चालकों को भी नहीं जाने दिया। करीब 500 ट्रैक्टर रोड पर ही खड़े रहे। कई किमी लंबा जाम जैसा माहौल रहा।पंजाब के किसान आंदोलन की तरह रुख अपना रहा था यह प्रदर्शन
पंजाब के किसान आंदोलन की तरह यह प्रदर्शन किसान चलाने लगे तो प्रशासन खतरा भांप गया। कहीं आंदोलन बड़ा न हो जाए, इसलिए प्रशासन ने किसानों की मांगों पर सहमति जताते हुए पूरी स्थिति के बारे में सरकार को अवगत कराया है।
सड़क पर किया भोजन, रात के खाने के होने लगे इंतजामकिसान दोपहर दो बजे तक प्रदर्शन करते रहे। उसी दौरान बारिश आ गई। कुछ देर बाद भूख लगी तो किसानों ने खाने का प्रबंध किया और सड़क पर भोजन किया। शाम के खाने का भी वह इंतजाम करने लगे थे। उन्होंने प्रशासन से कह दिया था कि वह अपनी मांगों को मनवाए बिना नहीं लौटेंगे। इससे प्रशासन पर दबाव आ गया।
कोई पेड़ पर, तो कोई छत पर चढ़ाकिसान प्रदर्शन कर रहे थे। उसी दौरान कुछ किसान पेड़ पर चढ़ गए, तो कुछ ने आसपास की छतों पर चढ़कर नारे लगाने की कोशिश की। हालांकि प्रशासन ने प्रदर्शन उग्र नहीं होने दिया। अधिकारियों ने किसानों को शांत करने के लिए हर संभव प्रयास किए।
तीन बाजार बंद रहेप्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हो, इसके लिए उमरैण, सिलीसेढ़ तिराहा और ढाई पैढ़ी पर बाजारों को बंद करवाया गया। वहां बैठे लोगों को भी हटा दिया गया। हालांकि किसान नेताओं ने धैर्य बरता, इसके चलते आंदोलन शांतिपूर्वक संपन्न हो गया।
वर्जन—किसान प्रतिनिधिमंडल से सकारात्मक माहौल में वार्ता हुई। उनकी मांगों को राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा। किसान प्रतिनिधिमंडल ने धरना समाप्त करने पर सहमति दी।
आर्तिका शुक्ला, जिला कलक्टर—
किसानों के मांग पत्र पर सहमति जताते हुए सरकार को भेजेंगे। सिलीसेढ़ में बोरिंग का दूसरा विकल्प तलाशने का प्रस्ताव भी भेजा गया है। अब सरकार के स्तर पर जो भी निर्णय होंगे, उसका पालन किया जाएगा।– बीना महावर, एडीएम सिटी
वर्जन-प्रशासन ने कह दिया है कि सिलीसेढ़ में बोरिंग नहीं की जाएगी, इसका दूसरा विकल्प देखेंगे। यह प्रस्ताव सरकार को भेजा है, इसलिए धरना-प्रदर्शन खत्म कर दिया गया है। यह किसानों की जीत है।
— प्रेम पटेल, किसान नेता