भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी पोकरण कस्बे में वर्षों पुरानी जलापूर्ति व्यवस्था अब लोगों के लिए अभिशाप बन चुकी है। करीब चार दशक पूर्व बिछाई गई पेयजल पाइपलाइन अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। आए दिन किसी न किसी क्षेत्र में पाइपलाइन फटने से लीकेज की समस्या पैदा हो रही है। ऐसे में एक तरफ हजारों लीटर साफ पानी सडक़ों पर बह जाता है तो दूसरी ओर क्षेत्र के कई घरों तक पानी पहुंच ही नहीं पाता। यही कारण है कि पेयजल संकट के साथ पानी की कमी व बर्बादी का दोहरा संकट भुगतना पड़ रहा है। हालात यह है कि आए दिन नए लीकेज होने से समस्या बढ़ जाती है, जिससे आमजन को परेशानी होती है। इसके साथ ही विभाग के लिए भी समय पर लीकेज निकालकर जलापूर्ति सुचारु करना चुनौती भरा हो जाता है।
यहां सर्वाधिक समस्या
कस्बे के भीतरी गली मोहल्लों के साथ जोधपुर रोड, भवानीपुरा, व्यास सर्किल के आसपास, रेलवे स्टेशन रोड, फोर्ट रोड, सालमसागर तालाब, जैसलमेर रोड, फलसूंड रोड, जटावास, पंडित दीनदयाल उपाध्याय कॉलोनी के पास आदि ऐसे क्षेत्र है, यहां बार-बार पाइपलाइनें लीकेज हो जाती है। इस दौरान कई घंटे तक शुद्ध पानी व्यर्थ बहता रहता है, जिससे सडक़ पर पानी फैल जाता है और कई दिनों तक जमा रहने से कीचड़ हो जाता है। ऐसे में आमजन को परेशानी होती है। इसके साथ ही पाइप लाइन लीकेज के कारण गली मोहल्लों में जलापूर्ति भी बाधित हो जाती है।
कैसे होगा जल संरक्षण
कस्बे में 30-40 वर्ष पुरानी पाइपलाइनें लगी हुई है, जिनके आए दिन फटने व लीकेज होने की समस्या बनी रहती है। ऐसे में पेयजल समस्या के हालात उत्पन्न हो जाते है। इसके साथ ही हजारों गैलन शुद्ध पानी भी व्यर्थ बह जाता है। हालांकि गत वर्ष कस्बे में 37 करोड़ रुपए पाइपलाइनों को बदलने के लिए स्वीकृत किए गए है, लेकिन एक वर्ष बाद भी कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
सडक़ों पर बह रहा पानी
आए दिन पाइप लाइनों के लीकेज हो जाने के कारण सैकड़ों गैलन शुद्ध पानी व्यर्थ बह जाता है और यह पानी सडक़ों पर जमा होकर कीचड़ का रूप ले लेता है। जिससे आमजन को परेशानी होती है।
अशरफखां, स्थानीय निवासी
नहीं हो रहा स्थायी समाधान
वर्षों पुरानी पाइपलाइनों के लीकेज हो जाने के कारण पेयजल समस्या उत्पन्न हो जाती है। कई दिनों तक पाइपलाइन ठीक नहीं होने पर महंगे दामों में पानी खरीदकर मंगवाना पड़ता है, जबकि स्थायी समाधान नहीं हो रहा है।
दिनेशकुमार, स्थानीय निवासी