केन्द्र व राज्य सरकार के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से तम्बाकू मुक्त भारत को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका कहीं असर देखने को नहीं मिल रहा है। सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों, सरकारी कार्यालयों के आसपास खुलेआम तम्बाकू उत्पाद बेचे जा रहे है। जिन पर रोकथाम को लेकर कोई कारगार कदम नहीं उठाए जा रहे है। ऐसे में सरकार के तम्बाकू मुक्त भारत अभियान की हवा निकल रही है। कस्बे में भी धड़ल्ले से तम्बाकू उत्पाद बिक रहे है, जिनके विरुद्ध कोई कवायद नहीं हो रही है। तम्बाकू मुक्त भारत अभियान भी कागजों तक ही सीमित नजर आ रहा है। यही नहीं चिकित्सा विभाग की ओर से चलाए जा रहे जागरुकता अभियान का भी असर नजर नहीं आ रहा है।
खुलेआम चल रही तम्बाकू की बिक्री
कस्बे के मुख्य बाजार, बस स्टैंड, स्कूलों के बाहर, अस्पतालों के पास तक गुटखा, सिगरेट और बीड़ी की दुकानों की भरमार है। दुकानदार नाबालिगों को भी बिना किसी झिझक के ये उत्पाद बेच रहे है। कानूनन स्कूलों व अस्पतालों से 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है, लेकिन पोकरण में इसका कोई असर नहीं दिखता।
जनजागरुकता अभियान केवल औपचारिकता
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से तम्बाकू विरोधी दिवस पर हर साल कार्यक्रम किए जाते है और पखवाड़ा भी मनाया जाता है, लेकिन ये अधिकतर औपचारिकता बनकर रह गए है। पोस्टर लगाना, भाषण देना और रैली निकालना ही पूरे अभियान की सीमाएं बन चुकी हैं।
युवाओं में बढ़ती लत
युवाओं और किशोरों के बीच तम्बाकू सेवन की लत तेजी से बढ़ रही है। मोबाइल की दुकान, पान की गुमटी या चाय की थड़ी हर जगह किशोरों की भीड़ देखने को मिलती है, जिनके हाथों में गुटखा या सिगरेट होती है।
स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार तम्बाकू सेवन कैंसर, हृदय रोग, दांतों और फेफड़ों की बीमारियों का प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर साल तम्बाकू जनित बीमारियों से लगभग 13 लाख लोगों की मौत होती है।
ये हो सकते है समाधान
प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को आमजन के साथ मिलकर जनजागरण अभियान चलाने चाहिए
स्थायी निगरानी दल का गठन हो, जो प्रतिबंधित क्षेत्रों में तम्बाकू की बिक्री पर नजर रखें
विद्यालयों व महाविद्यालयों में नियमित कार्यशालाओं का आयोजन कर तम्बाकू के सेवन से होने वाली हानि से अवगत करवाएं