पंचायत समिति नाचना में दमकल वाहन की अनुपलब्धता लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। क्षेत्र में 20 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत 78 गांव आते हैं, लेकिन आग की घटनाओं से निपटने के लिए कोई स्थानीय व्यवस्था नहीं है। हर साल आग लगने की घटनाएं फसलों, पशुओं और वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचाती हैं।
इंदिरा गांधी नहर के समीप सैकड़ों बीघा में फैली नर्सरी में लाखों पौधे हैं। यहां शॉर्ट सर्किट या तेज गर्मी से हर साल आग लग जाती है। वहीं, खेतों में फसलों के साथ-साथ चारे और खलिहानों में भी आग की घटनाएं होती हैं। दमकल नहीं होने से ग्रामीण बेबस होकर खुद ही पानी के टैंकरों और बाल्टियों से आग बुझाने में जुट जाते हैं।
दमकल पहुंचने में लगते हैं घंटे, तब तक सब राख
नाचना से जिला मुख्यालय की दूरी 120 किमी है, जहां से दमकल को पहुंचने में 4 घंटे लगते हैं। पोकरण तहसील मुख्यालय 80 किमी दूर है, वहां से दमकल को आने में 2 घंटे का समय लगता है। तब तक मौके पर सब कुछ जलकर राख हो चुका होता है।
वन क्षेत्र में हर वर्ष दोहराता है खतरा
नाचना कस्बे के चारों ओर फैली वन भूमि में हजारों पेड़ लगे हुए हैं। गर्मी के मौसम में यहां आग लगना आम बात है। वन विभाग के पास भी पर्याप्त संसाधन नहीं होने से यह आग जल्दी नहीं बुझाई जा पाती। हर बार ग्रामीणों को ही बाल्टियों, पाइप और टैंकरों से आग पर काबू पाने की कोशिश करनी पड़ती है।
किसानों और पशुपालकों की जमा पूंजी स्वाहा
नाचना एक प्रमुख कृषि और पशुपालन क्षेत्र है। जब आग लगती है तो फसलें, चारा, खलिहान और कभी-कभी पालतू मवेशी भी आग की चपेट में आ जाते हैं। पशुपालकों के लिए ये मवेशी परिवार का हिस्सा होते हैं। आग की हर घटना ग्रामीणों की वर्षों की मेहनत और पूंजी को मिट्टी में मिला देती है।
ग्रामीणों की गुहार—मिले स्थायी दमकल सुविधा
ग्रामीण भंवरलाल के अनुसार पंचायत समिति बनने के बाद भी दमकल वाहन न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। वन क्षेत्र और नहरी खेतों में हर साल आग लगती है, पर कोई सुनवाई नहीं होती। इसी तरह मुरलीधर सुथार का कहना है, खुद ही आग बुझानी पड़ती है। आज तक दमकल की सुविधा नहीं दी। हम कब तक अपनी मेहनत यूं ही जलते देखेंगे?
यह है हकीकत
-120 किलोमीटर की दूरी है नाचना से जिला मुख्यालय की
80 किलोमीटर पोकरण तहसील मुख्यालय से दूरी है नाचना की
20 ग्राम पंचायत और 78 गांव है पंचायत समिति क्षेत्र में