– राजसमंद एसपी ने पुलिस अधिकारी भंवरलाल कुमावत को बतौर गवाह न्यायालय में उपस्थित होने की अनुमति प्रदान नहीं की थी
सीकर. न्यायिक मजिस्ट्रेट सीकर हिमांशु कुमावत ने पुलिस अधिकारी भंवरलाल कुमावत को पेशी पर नहीं भेजने के कारण न्यायालय ने राजसमंद एसपी मनीष त्रिपाठी को तलब कर जवाब मांगा है। न्यायाधीश ने कहा कि या तो एसपी सात दिन में न्यायालय में कारण स्पष्ट करें, या स्वयं न्यायालय में उपस्थित रहकर वस्तु स्थिति से अवगत कराएं। न्यायाधीश ने आदेश में टिप्पणी कि है कि राजसमंद पुलिस अधीक्षक न केवल न्यायालय की अवमान है वरन आपराधिक कृत्य भी है। न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीकर हिमांशु कुमावत ने राजसमंद एसपी मनीष त्रिपाठी को फौजदारी प्रकरण सरकार बनाम सागरमल जाट के मामले में तलब किया है। गौरतलब है कि राजसमंद एसपी ने एक पुलिस अधिकारी भंवरलाल कुमावत को न्यायालय में बतौर गवाह उपस्थित होने की अनुमति प्रदान नहीं की थी। इस कारण पुलिस अधिकारी भंवरलाल कुमावत पूर्व में न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सके थे। इस संबंध में सहायक अभियोजन अधिकारी विजयानंद थालिया ने भी न्यायालय के समक्ष यह बताया है कि कई बार लॉ एंड ऑर्डर के कारण पुलिस अधीक्षक ने पुलिस अधिकारीगण को बतौर गवाह न्यायालय में उपस्थित होने की अनुमति प्रदान नहीं की गई।
यह था मामला-
पीड़ित सीताराम शर्मा लक्ष्मणपुरा ने एक जनवरी 2012 को रानोली थाना में मामला दर्ज करवाया था। मामले के अनुसार पीड़ित के पिता जीवनराम शर्मा ने अपने जीवनकाल में ही दुकान को सांवरमल टेलर को किराए पर दे दी थी। पीड़ित सीताराम शर्मा आसाम में करते हैं। वे गांव आए तो पाया कि एक जनवरी 2012 को आरोपी सागरमल ढाका निवसी रुपपुरा ने उसकी कब्जेशुदा हक, स्वामित्व की उक्त दुकान में से किराएदार की सिलाई मशीनों को बाहर फैंककर दुकान पर ताला लगा दिया था।