Nagaur patrika…रामदेव पशुओं की आवक संख्या ने तीन हजार का आंकड़ा किया पार…VIDEO

नागौर. रामदेव पशु मेला में पशुओं के आवक तेज हुई है। मेला में अब तक आए पशुओं की संख्या तीन हजार का आंकड़ा पार कर गई है। सर्वाधिक आवक संख्या में ऊंट अब तक पहले नंबर पर रहा है। ऊंटों संख्या जहां डेढ़ हजार से ज्यादा रही है, वहीं गोवंशों की संख्या ऊंटों अपेक्षा इस बार कम रही है। अब तक मेले में गोवंशों की संख्या 1139, भैंसवंश 48, ऊंट 1757 एवं घोड़ों की संख्या 126 हो चुकी है। कुल संख्या 3070 तक हो चुकी है।
रामदेव पशु मेला में पशुओं की आवक तेज होने के साथ ही अब इनकी संख्या बढऩे लगी है। अब पूरा मेला मैदान पशुओं से गुलजार नजर आने लगा है। मुख्य गेट के सामने की ओर का मैदान गोवंशों से भरा हुआ है,जबकि जोधपुर रेाड की ओर से मैदान का पिछला हिस्सा ऊंटों से भरा हुआ है। मेला मैदान में पशुओं की आवक बढऩे के साथ ही विदेशी सैलानी भी नजर आने लगे हैं। ऊंटों के साथ सेल्फी खिंचाना, पशु पालकों से बातचीत करना, और दुकानों में सामानों को देखना, और बात करने सरीखे दृश्य अब रोजाना नजर आने लगे हैं। मेला मैदान में आने वाले स्थानीय एवं विदेशी सैलानी दोनो ही ऊंटों की सवारी का लुफ्त भी उठा रहे हैं।
पशु प्रतियोगिता देखने उमड़ी सैलानियों की भीड़
रामदेव पशु मेला में सुबह दस बजे पशु प्रतियोगिता शुरू हुई तो उसे देखने के लिए विदेशी सैलानियों की भीड़ खड़ी रही। पशुओं की प्रतियोगिता शुरू होते ही विदेशी पर्यटक अपने कैमरे एवं मोबाइल से प्रतियोगिता की गतिविधियों को कैद करने में लगे रहे। स्वस्थ बैलों को सजे-धजे देकर कुछ विदेशी सैलानियों ने इनके साथ अपनी सेल्फी भी खिंचवाई। मैदान में कुछ ऊंट पालक मंगलवार को होने वाली प्रतियोगिता का अभ्यास करा रहे थे। विदेशी सैलानी इसे भी अपने कैमरों में कैद करते नजर आए।
नहीं लगी सरकारी कार्यालयों की प्रदर्शनियां
रामदेव पशु मेला में प्रति वर्ष सभी सरकारी कार्यालयों की प्रदर्शनियां लगती थी। इसमें विभागीय उपलब्धियों को बैनर,पोस्अर आदि लगाए जाने के साथ ही संबंधित विभाग के कर्मचारी भी बैठते थे,लेकिन इस वर्ष ऐसा बिलकुल नहीं रहा। सरकारी कार्यालयों को प्रदर्शनी लगाने के लिए पशु पालन विभाग की ओर से मेला मैदान में शिविर तो लगा दिए गए, लेकिन ज्यादातर सरकारी कार्यालयों ने अपनी प्रदर्शनियां लगाई ही नहीं। जबकि पूर्व में लगी प्रदर्शनियों के माध्यम से वहां पर बैठा कर्मचारी लोगों को विभागीय उपलब्धियों से अवगत कराने का काम करता था। इस बार यह सारे शिविर एक लाइन से खाली नजर आ रहे हैं।

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