Jaipur Literature Festival 2025: पांच दिनों तक चल रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 (JLF) का सोमवार को भव्य समापन होगा। सोमवार को कार्यक्रम की शुरुआत “रघुपति राघव राजा राम” भजन के साथ हुई, जिसने पूरे माहौल को आध्यात्मिक और साहित्यिक ऊर्जा से भर दिया।
फेस्टिवल के आखिरी दिन बॉलीवुड अभिनेता, निर्देशक, नाटककार और लेखक मानव कौल ने ‘अ बर्ड ऑन माय विंडो सिल’ सेशन में अपने जीवन से जुड़े अनोखे अनुभव साझा किए।
“मैंने चाय बेची, पतंग बेची – लेकिन सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा”
मानव कौल ने अपनी संघर्षभरी यात्रा के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि मैंने कई तरह के काम किए-चाय की दुकान चलाई, पतंगें बेचीं। हो सकता है कि मैं कुछ और अच्छा कर पाऊं या नहीं, लेकिन एक चीज़ जो मैं बहुत अच्छी तरह कर सकता हूं, वो है चाय बनाना। चाय मेरी ज़िंदगी का अहम हिस्सा रही है। उनकी यह बात सुनकर श्रोताओं ने तालियों से उनका स्वागत किया।
“बचपन में ट्रेनों को देखकर सोचा करता था – ये कहां जाती हैं?”
सेशन के दौरान, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हिंदी के प्रोफेसर ऐश्वर्या कुमार ने उनसे चर्चा की। बातचीत में मानव कौल ने अपने बचपन की यादें ताज़ा करते हुए कहा कि मैं कश्मीर के बारामूला में पैदा हुआ और मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में पला-बढ़ा। गांव और छोटे शहरों में पले-बढ़े लोगों के पास एक खास तरह की आज़ादी होती है, लेकिन साथ ही एक तरह का कॉम्प्लेक्स भी रहता है।
उन्होंने बताया कि बचपन में उन्हें दुनिया देखने की तीव्र इच्छा थी। मैं अपने दोस्त सलीम के साथ होशंगाबाद रेलवे स्टेशन जाकर घंटों ट्रेनों को आते-जाते देखा करता था। हम सोचते थे कि ये ट्रेनें आखिर कहां जाती हैं?
यह भी पढ़ें : भारत का खाना विश्व में सबसे अलग और अद्भूत- मास्टर शेफ मैट प्रेस्टन
“जिंदगी एक सफर है, और यह सिलसिला थमना नहीं चाहिए”
मानव कौल ने अपनी हाल की यूरोप यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि मैं अभी-अभी यूरोप से लौटा हूं और अब फिर से लग रहा है कि अगली यात्रा कहां की जाए। जिंदगी एक सफर है और यह सफर कभी नहीं रुकना चाहिए।
JLF नए विचारों और रचनात्मकता का मंच
पांच दिनों तक चले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में दुनियाभर से आए लेखकों, विचारकों, कलाकारों और साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया। इस बार का फेस्टिवल नई किताबों, अनूठी चर्चाओं और साहित्य की नई धाराओं को समर्पित रहा है।
यह भी पढ़ें : हुमा कुरैशी ने JLF में बताई ‘ज़ेबा’ की कहानी, लेखन में नए सफर की कैसे हुई शुरुआत? किया खुलासा