परिसीमन से नेताओं का बिगड़ेगा चुनावी समीकरण, तो कईयों के खुलेंगे भाग्य

बस्सी @ पत्रिका. पंचायती राज विभाग की ओर से सोमवार से ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनसीमांकन एवं नवसृजन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। निर्वाचन एवं रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारियों ( एसडीएम ) ने पंचायत समितियों से ग्राम पंचायतों के 2011 के जनसंख्या के आंकड़े मुहैया कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

इसके बाद ग्राम पंचायतों से आपत्तियां मांगी जाएगी, जिनको दर्ज कर विचार किए जाएंगे। इधर ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होते ही कई ग्राम पंचायत एवं पंचायत समितियों के ग्रामीण राजनेता अपने वोटों के नफा – नुकसान को लेकर सक्रिय हो गए हैं। ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनसीमांकन एवं नवसृजन से कई ग्रामीण राजनेताओं का समीकरण बन जाएगा तो कईयों का वोटों का गणित बिगड़ जाएगा।

उल्लेखनीय है कि बस्सी विधानसभा की पंचायत समिति बस्सी व पंचायत समिति तूंगा के ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति पुनगर्ठन की प्रक्रिया उपखण्ड अधिकारी बस्सी निर्वाचन शाखा में संपादित होगी।

2020 के पुनगर्ठन में बनी थी 11 ग्राम पंचायत….

पंचायत राज में वर्ष 2020 में हुए पंचायत पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन से पहले बस्सी पंचायत ही थी। उस वक्त बस्सी पंचायत समिति में 43 ग्राम पंचायतें थी। लेकिन वर्ष 2020 में पंचायत पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन में बस्सी पंचायत समिति को तोड़ कर तूंगा पंचायत समिति बना दी और इनमें 11 नई ग्राम पंचायतें बना दी। इसके बाद बस्सी पंचायत समिति में ग्राम पंचायतों की संख्या 30 हो गई तो तूंगा पंचायत समिति में ग्राम पंचायतों की संख्या 24 हो गई। अब नए पुनर्गठन, पुनसीमांकन एवं नवसृजन के बाद निश्चित ही दोनों पंचायत समितियों में कमोबेश इतनी ही ग्राम पंचायत बएढ़ सकती है।

गत पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन में बनी थी ग्राम पंचायतें

वर्ष 2020 के पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन में बस्सी पंचायत समिति में ग्राम पंचायत घाटा, खोरी, मानगढ़ खोखावाला, विजयमुकुंदपुरा व सिंदोली नई ग्राम पंचायतें बनी थी। इसी प्रकार तूंगा पंचायत समिति में तूंगी, नगराजपुरा, बराला, खिजुरिया तिवाडि़यान, किशनपुरा व उगावास को नई ग्राम पंचायत का दर्जा दिया था।

राजनीतिक गणित गड़बड़ाने का भय…

पंचायती राज में ग्राम पंचायत एवं पंचासमितियों के पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन से कई जहां आमजन को फायदा होगा वहीं ग्रामीण राजनीति से जुड़े ग्रामीण राजनेताओं को भी फायदा व नुकसान होगा। यही कारण है कि पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन का कई लोग विरोध करेंगें तो कई करेंगे समर्थन। हालांकि जहां पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन से ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़ेगी वहीं कई ग्रामीण नेता ऐसे हैं, जिनका वोटों का गणित गड़बड़ा जाएगा। हालांकि इससे जनता को फायदा ही होगा। उदाहरणार्थ वर्तमान में कई ग्राम पंचायतें ऐसी है, जिनमें आबादी व गांवों की संख्या अधिक है। कई गांव जिनकी दूरी पंचायत मुख्यालयों से पांच से सात किलोमीटर की दूरी है, यदि उनका गांव ही पंचायत मुख्यालय बन जाए तो आमजन को तो फायदा ही होगा। ( कासं )

इनका कहना है….

जनसंख्या के मांग लिए हैं आंकड़े…

पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन के लिए बस्सी व तूंगा पंचायत समिति से वर्ष 2011 की जनसंख्या के आंकड़े मांगे हैं। उनकी देखरेख में पुनगर्ठन एवं पुर्नसीमांकन का कार्य शुरू होगा। जो लोग आपत्तियां दर्ज कराएंगे, उनकी आपत्तियां दर्ज कर सुनवाई की जाएगी।

– ओपी मीना, निर्चाचक एवं रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारी बस्सी।

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