जैसलमेर में जीरा मंडी की जरूरत बढ़ी, किसानों को उम्मीद

जैसलमेर जिले में जीरा उत्पादन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने के बावजूद स्थानीय किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इसकी मुख्य वजह जिले में जीरा मंडी का अभाव है। वर्तमान में किसान अपना माल ऊंझा या धानेरा जैसे गुजरात के मंडी केंद्रों पर बेचने को मजबूर हैं। छोटे किसान, जिनके पास सीमित मात्रा में जीरा होता है, स्थानीय व्यापारियों को अपनी शर्तों पर बेचने के लिए विवश हैं। व्यापारी कम कीमत पर माल खरीदकर बेहतर भाव मिलने का इंतजार करते हैं, जिससे किसान वंचित रह जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जैसलमेर में जीरा मंडी की स्थापना से छोटे किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। राज्य सरकार ने पिछले बजट में जिले में जीरा मंडी की स्थापना की घोषणा की थी। उम्मीद जताई जा रही है कि यदि यह पहल सफल रही तो संबंधित प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना का रास्ता भी खुलेगा। गुजरात में 300 से अधिक प्रोसेसिंग इकाइयां हैं, जबकि राजस्थान में इनकी संख्या 100 से भी कम है।

फैक्ट फाइल

-29 प्रतिशत रकबे में जीरा की खेती

80,000 से अधिक किसान लाभान्वित

2,000 करोड़ तक की आय पिछले वर्षों में प्राप्त
समय व पैसे की होगी बचत
जीरा मंडी की स्थापना से हमें अपनी फसल का उचित दाम मिलेगा। छोटे किसानों को गुजरात जाने की जरूरत नहीं होगी, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।

विजय बिस्सा, किसान नेता

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