जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग के शिव मार्ग क्षेत्र में बुर्ज संख्या 15 से सटी दीवार के मानसून काल में क्षतिग्रस्त होने और उसमें से बड़े आकार के पत्थरों के लुढक़ कर नीचे चलने वाली व्यस्त सडक़ पर गिरने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने दीवार का पुनर्निर्माण होने तक भविष्य में पत्थर गिरने की स्थिति में किसी अनहोनी की आशंका को टालने के लिए दीवार के नीचे फैंसिंग करवाई है और उसके नीचे सडक़ पर भी टीन शेड लगवाकर यह तय करने की कोशिश की है कि फैंसिंग के बावजूद अगर कोई पत्थर नीचे गिरे तो वह टीन शेड से टकरा कर रुक जाए। उसके दूसरी ओर किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाए। गौरतलब है कि बरसाती सीजन में गत 6 अगस्त को भारी बारिश के चलते सोनार दुर्ग के बुर्ज संख्या 15 से सटी दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी और उसमें से पत्थर निकल कर नीचे सडक़ पर आकर गिरे थे। उसके बाद इस मार्ग पर बेरिकेडिंग लगाई गई। दीवार को खतरे से मुक्त करवाने में एएसआई कार्रवाई नहीं कर पाया और हाल में गत 26 नवम्बर को एक बार फिर क्षतिग्रस्त दीवार से 4 बड़े आकार के पत्थर छिटक कर कर नीचे सडक़ पर आ गए। गनीमत यह रही कि दोनों बार किसी तरह की जनहानि नहीं हुई।
यह करवाई है व्यवस्था
एएसआई के जिम्मेदारों ने बताया कि दुर्ग के बेसियन नं. 15 के समीप क्षतिग्रस्त दीवार के नीचे स्थित ढलान वाले क्षेत्र में लोहे के एंगलों सहित चैन लिंकिंग फैंसिंग लगवाई गई है, जिसके चलते अगर दीवार का संरक्षण कार्य करवाने की प्रक्रिया के दौरान क्षतिग्रस्त दीवार से यदि कोई पत्थर खिसक कर नीचे गिरे तो चैन फैंसिंग से पत्थर का रुकाव हो सके और दीवार के नीचे स्थित मार्ग पर चलने वाले राहगीरों व सामने स्थित दुकानदारों आदि के साथ कोई दुर्घटना न हो अथवा उन्हें आर्थिक हानि से बचाया जा सके। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग उपमंडल जैसलमेर के संरक्षण सहायक महेन्द्रप्रतापसिंह, गोविन्दसिंह और मुकेश मीणा के निर्देशन में कार्य करवाया जा रहा है। इसके अलावा पूर्व में जब दीवार गिरी तो उस वक्त से दीवार के नीचे स्थित मार्ग पर सुरक्षा के लिहाज से बैरिकेडिंग लगवाई गई थी जिससे आमजन को विगत कई महीनों से आवाजाही में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। अब पुरातत्व विभाग की ओर से पूर्व में लगी बैरिकेडिंग को हटवाते हुए व ढलाई वाले क्षेत्र में लगवाई गई चैन फैंसिंग के अलावा और अतिरिक्त ऐहतियात बरतते हुए भारी लोहे के एंगलों की सहायता से क्षतिग्रस्त दिवार के नीचे स्थित रोड़ पर शेड भी लगवाया गया है। इसेक बाद अब आमजन व दिन-प्रतिदिन होने वाले वाहनों के आवागमन की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मार्ग को सुगम यातायात खोला गया है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि बेसियन नं. 44 व 45 के पास भी लोहे के एंगलों सहित चैन लिंकिंग फैंसिंग लगवाई गई है। पुरातत्व विभाग के अनुसार दुर्ग के बेसियन नं. 15 के समीप क्षतिग्रस्त दीवार व बेसियन नं. 44 व 45 के संरक्षण कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया के तहत निविदाएं भी आमंत्रित की जा चुकी हैं और निविदा प्रक्रिया पूर्ण होते ही कार्यादेश जारी करते कार्य प्रारंभ करवा दिया जाएगा।