नागौर. सर्दी बढऩे लगी है। इसके साथ ही मौसम में चल रही बर्फीली हवाओं के संग ठंड और तेज होने के साथ पाला पडऩे की आशंका बलवती होने लगी है। इसको ध्यान में रखते हुए उद्यानिकी विभाग ने काश्तकारों को समझाने के साथ ही जागरुक करने का काम शुरू कर दिया है। उद्यानिकी विभाग के कृषि अधिकारी स्वरूपराम ने बताया कि इसके लिए कृङ्क्षष पर्यवेक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं।
ऐसे पड़ता है पाला
गांवों में काश्तकारों को समझाया जा रहा है कि पाला पडऩे की आशंका हो तो फिर तैयारियां भी कर लें। ताकि ऐन मौके पर फसलां का बचाव कर सकें। उद्यानिकी विभाग के कृषि अधिकारी स्वरूपराम ने बताया कि जब दिन में विशेष ठंड हो या ठंडी हवाएं चल और दोपहर बाद में हवाएं रुक जाए , रात में आकाश साफ हो, वायु में आद्र्रता कम हो, और . वायुमंडल का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम या 0 डिग्री तक पहुंच जाए तो पाला की आशंकाएं रहती है।
फसलों का बचाव इस तरह से करें किसान
उद्यानिकी कृषि अधिकारी जाखड़ ने बताया कि पौधशालाओ के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यान या नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि का तापमान कम नहीं होने देने के लिए फसलों को टाट पॉलिथीन अथवा भूसे से ढक देवे। वायु रोधी टाटीयां हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर पश्चिम की तरफ लगाए। नर्सरी किचन गार्डन और कीमती फसलों वाले खेतों के उत्तर पश्चिम की ओर टाटियां बांधकर क्यारी के किनारे पर लगाए तथा दिन में पुन: हटाए। जब पाला पडऩे की संभावना हो तो खेतों में जल भराव नहीं करे, परन्तु दिन में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी बनी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। जिससे तापक्रम शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा। इससे फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
खेतों में इसका कर सकते हैं छिडक़ाव
पाला पडऩे की संभावना हो उन दिनों में फसलों पर घुलनशील गंधक 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) गोल बनाकर छिडक़ाव करें। ध्यान रहे कि पौधों पर छिडक़ाव की फुहार अच्छे तरीके से लगे। छिडक़ाव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलर व पहले की संभावना बनी रहे तो छिडक़ाव 15-15 दिन के अंतराल से करना चाहिए। काश्तकार शीतलर एवं पाला पडऩे की संभावना होने पर फसलों पर किसान भाई थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर) का छिडक़ाव करें। सरसों, गेहूं चना जीरा एवं मटर जैसी फसलों को पाले से बचने के लिए गंधक का छिडक़ाव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में को तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है। इससे पौधों में रोग रोधक क्षमता, दाने की गुणवत्ता बढ़ाने मैं एवं फसलों को जल्दी पकने में सहायक होता है।
ऐसे भी कर सकते हैं काश्तकार फसल बचाव
उद्यानिकी अधिकारी जाखड़ ने बताया कि शीतलहर एवं पाला दीर्घकालिक उपाय फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानो पर वायु अवरोध पेड़ जैसे खेजड़ी बाबुल अरडु शहतूत शीशम आदि लगा दिए जाए तो पाले एवं ठंडी हवाओं के झोंकों से फसलों को बचाया जा सकता है। पाला पडऩे की संभावना होने पर किसान भाई हवा की दिशा में कचरे की ढेरियां बना कर रात को 10 या 11 बजे के लगभग उनमें आग लगाकर धुआं करेंगे तो धुआं खेत में निश्चित ऊंचाई पर एक परत बना लेने पर ओस के रूप में आने वाली बूंद को धुएं के कण अवशोषित कर लेंगे। इस वजह से खेत का तापमान बढऩे की स्थिति में पाले का असर फसलों पर नहीं होगा। इस तरह से पाले से टमाटर बैंगन मिर्च आदि सब्जियों पपीता केला बेर जैसे फलवृक्षों सरसों जीरा सौंफ ईसबगोल धनिया अलसी मटर इत्यादि फसलों का बचाव किया जा सकता है।
