चित्तौड़गढ़। दिसम्बर का पहला सप्ताह बीत चुका है। लेकिन, अब तक सर्दी चमकने का नाम नहीं ले रही है। अगर मौसम की चाल यही रही तो किसानों को भारी परेशानी हो सकती है। अब तक तापमान की अधिकता ने धरती पुत्रों का तनाव बढ़ा दिया है। कम सर्दी के कारण बीज सही तरीके से अंकुरित नहीं होंगे। जो सीधे तौर पर पैदावार को प्रभावित करेगा। अमूमन नवम्बर के मध्य तक सर्दी अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। लेकिन, हालत यह है कि रात और सुबह हल्की सर्दी पड़ रही है। वर्तमान में अधिकतम तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
अब तक न तो कोहरा और न मावठ
वातावरण में नमी नहीं है। इस वजह से अब तक न तो कोहरा छाया है और न ही मावठ हुई है। जबकि रबी की फसल को ये लाभ देने वाले हैं। ऐसे में दिसम्बर का एक सप्ताह निकल गया है पर अब तक किसानों को कड़ाके की सर्दी का इंतजार है।
फसलों की ग्रोथ व पैदावार पर पड़ेगा असर
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों की फसल के लिए कम तापमान लाभकारी रहता है। लेकिन, यह सामान्य तापमान में भी पनप जाती है। इसमें नुकसान तभी संभव है, जब बारिश और पाला पड़ता है। अन्य मौसम में इसकी वृद्धि प्रभावित नहीं होती है। वहीं अगर गेहूं, जौ और चने की फसल के लिए कोहरा और सर्दी नहीं होगी तो इसमें ग्रोथ नहीं होगी। जो सीधे तौर पर पैदावार को प्रभावित करेगी। रबी सीजन की फसल के अनुरूप अगर तापमान नहीं होता है तो पौधों की जड़ों में भी वृद्धि रुक जाती है। इससे पौधा पोषण लेना बंद कर देगा और फसल की पैदावार प्रभावित हो जाएगी।
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