Bhishma Pitamah: आखिर किसने दिया भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु वरदान, जानिए रहस्य

Bhishma Pitamah: भीष्म पितामह महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। इनका असली नाम देवव्रत था। यह कौरव और पांडवों के रिश्ते में परदादा लगते थे। भीष्म इतने बलशाली थे कि कौरव और पांडवों दोनों की सेना में कोई ऐसा योद्धा नहीं था जो इनको परास्त कर सके। मान्यता है कि भीष्म पितामह ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया था। साथ ही इनको इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। लेकिन क्या आज जानते हैं कि भीष्म पितामह इच्छा मृत्यु वरदान किसने दिया था? आइए जानते हैं।

जानिए किसने दिया इच्छा मृत्यु वरदान

हस्तिनापुर के राजा शांतनु भीष्म पितामह के पिता थे। वह गंगा से विवाह के बाद सत्यवती से विवाह करना चाहते थे। सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु के सामने एक शर्त रखी कि सत्यवती के गर्व से जो संतान प्राप्त होगी वही हस्तिनापुर की गद्दी संभालेगी। मान्यता है कि अपने पिता शांतनु की खुशी के लिए राजगद्दी का त्याग कर दिया और आजीवन ब्रह्मचर्य रहने का प्रण ले लिया। भीष्म के इस महान त्याग से प्रसन्न होकर राजा शांतनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया। इस वरदान का मतलब यह था कि भीष्म तब तक नहीं मरेंगे जब तक वे स्वयं मृत्यु को स्वीकार न करें।

बाणों की शय्या पर क्यों लेटे रहे भीष्म

भीष्म पितामह महाभारत युद्ध के दौरान कौरवों के सेनापित थे। वहीं पांडवों के लिए भीष्म को युद्ध में हराना बेहद कठिन था। लेकिन जब अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों से छलनी कर दिया। तब भी उनके शरीर से प्राण नहीं निकले और युद्धभूमि में बाणों की शय्या पर लेट गए। उन्होंने सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने का इंतजार किया। क्योंकि वह समय मृत्यु के लिए शुभ माना जाता है। इसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्यागे।

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