Govardhan Parikrama: क्यों की जाती है गोवर्धन परिक्रमा, जानिए इसका रहस्य

Govardhan Parikrama: धार्मिक परंपरा में गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व है। यह परिक्रमा श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में एक पर्वत के चारों ओर की जाती है। भक्तों की मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत भगवान का स्वरूप है। क्योंकि श्रीकृष्ण ने इसे अपनी लीला स्थली बनाया था। इसकी परिक्रमा करना विशेष पुण्यकारी माना जाता है।

गोवर्धन परिक्रमा का धार्मिक महत्व (Religious importance of Govardhan Parikrama)

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार इंद्रदेव ने गोकुल नगरी पर भारी वर्षा की जिससे गांव के लोग डूबने लगे। मान्यता है कि भगवान ने इंद्रदेव के इस कहर को देखते हुए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। इस तरह श्रीकृष्ण ने समस्त गोकुलवासियों की रक्षा की। इसके बाद से गोवर्धन पर्वत को पूजनीय माना जाने लगा। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और परिक्रमा का आयोजन होता है। जिसे अन्नकूट उत्सव के नाम से जाना जाता है।

परिक्रमा की दूरी (orbital distance)

गोवर्धन परिक्रमा 7 कोस यानि लगभग 21 किलोमीटर लंबी है। यह परिक्रमा दानघाटी और मुखारविंद जैसे प्रमुख स्थानों से होकर लगाई जाती है। भक्तजन नंगे पांव चलते हैं और भगवान श्रीकृष्ण से अपने पापों की मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

आध्यात्मिक लाभ (spiritual benefits)

गोवर्धन परिक्रमा ब्रज मंडल की सबसे पवित्र और पावन परिक्रमा है। यह धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। जो भक्त गोवर्धन की निष्ठा के साथ परिक्रमा करते हैं। उनके जीवन में आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि परिक्रमा करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं और वह भगवान के निकट जाता है।

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