साइबर अपराध को रोकने के लिए सख्त ​कदम उठाने की जरूरत

— जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों को नजर रखें

जयपुर. भारत धीरे-धीरे डिजिटल रूप से सशक्त समाज बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए साइबर-बुलीइंग, साइबर अपराध और साइबर उत्पीड़न की वजह से सामने आने वाले खतरों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। नीति निर्माताओं, शिक्षकों, कानून लागू करने वाली संस्थाओं और आम लोगों को इन समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। यह कहना है एयू कॉर्पोरेट एडवाइजरी एंड लीगल सर्विसेज के संस्थापक अक्षत खेतान का। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में हर साल साइबर धोखाधड़ी के लगभग 77769 मामले दर्ज किए जाते हैं और लगातार बढ़ रही इस समस्या पर काबू पाने के लिए पर्याप्त कानूनी उपायों की आवश्यकता है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए एयूसीएल पीड़ितों को हालात से उबरने में मदद करने के लिए युवा सलाहकारों की सेवा उपलब्ध करा रहा है। साथ ही कानूनी मार्गदर्शन और पूरे राजस्थान के कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर जनसंपर्क कार्यक्रमों एवं सामाजिक अभियानों का संचालन करेगा।

92570 करोड़ रुपए बकाया
दस्तावेजों में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि देश में जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वालों की सूची में शीर्ष पर मौजूद 50 लोगों के पास भारतीय बैंकों का 92570 करोड़ रुपए बकाया है। अर्थशास्त्रियों द्वारा जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने के मामलों पर अधिक ध्यान नहीं देने की एक बड़ी वजह यह भी है कि इस तरह के मामले सिर्फ भारत से संबंधित हैं और हाल के दिनों तक ज़्यादातर आर्थिक शोध मुख्य रूप से अमेरिका पर केंद्रित रहे हैं। लिहाजा इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि, अर्थशास्त्र एवं फाइनेंस के क्षेत्र में जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने के मामलों पर शोध को काफी हद तक नजरअंदाज किया गया है।

कमियों को दूर करने के लिए संशोधन पेश….
भारतीय उद्योग जगत के लिए खुशी की बात यह है कि सरकार ने सुधारों की आवश्यकता को समझते हुए मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए संशोधन पेश किए हैं। उदाहरण के लिए एमएसएमई के लिए प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस की शुरूआत से छोटे उद्यमों के दिवालियापन से संबंधित मामलों का अधिक किफायती तरीके से समाधान संभव हो गया है। किसी भी सरकार की तरह हमारी सरकार भी इस बात को अच्छी तरह समझती है कि ऋण समाधान दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति है। इसे सही तरीके से लागू करने पर अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने में मदद मिलने के साथ-साथ निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है, और यकीनन इससे अधिक संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं।

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