सरकारी और निजी स्कूलों के विद्यार्थियों का शिक्षा संबंधी सारा डाटा उनके यूनिक आईडी ‘अपार’ में नजर आएगा, लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार की इस योजना को सफल बनाने को लेकर अपार आईडी जनरेट करवाने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं।
कार्य शुरू ही नहीं हो पाया
यूनिक आईडी बनाने की प्रक्रिया के आरंभ होने के डेढ़ महीने बाद भी स्थिति यह है कि जिले में एक भी स्कूल का 100 प्रतिशत अचीवमेंट नहीं है, वहीं 167 स्कूल तो ऐसे हैं जिनमें अभी कार्य शुरू ही नहीं हो पाया है। जबकि जिला कलक्टर द्वारा विभाग को शत-प्रतिशत निर्धारित समय में प्रगति करने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे फिसड्डी स्कूलों को शिक्षा विभाग की तरफ से नोटिस भी जारी कर दिया गया है।
जिलों में केकड़ी 22वें नंबर पर
प्रदेश के 50 जिलों में केकड़ी22वें नंबर पर है। कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों की अपार आईडी जनरेट करने की अंतिम तारीख 30 नवम्बर है। आठवीं कक्षा तक के बच्चों की आईडी जनरेट करने की अंतिम तिथि 12 दिसम्बर है। अपार आईडी जनरेट करने में कम समय में काम को पूरा करने के लिए तकनीकी सिस्टम पर जो भार पड़ा है उससे काम की गति धीमी हो गई है।
स्पेलिंग दर्ज रिकार्ड में मैच नहीं खा रही
दरअसल यह आईडी भी आधार की तरह है। उसी तर्ज पर इसे बनाया जा रहा है। आधार में जो नाम पता आदि दर्ज है इसकी स्पेलिंग यदि विद्यालय में दर्ज रिकार्ड में मैच नहीं खा रही है तो आईडी जनरेट नहीं हो पा रही है, क्योंकि विद्यालय ने संबंधी रिकॉर्ड यू डायस और शाला पोर्टल पर भी है, जिसमें विद्यार्थियों का डाटा है, वहां भी उनका नाम आदि अंकित है।
क्या है अपार आईडी
‘अपार’ यानी बच्चों की 12 अंकों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री। इसमें स्टूडेंट्स की शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ साथ अन्य विभिन्न रिकॉर्ड रहेंगे। यह कार्ड वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी के तौर पर काम करेगा। इसकी सहायता से भविष्य में स्टूडेंट्स की शैक्षणिक प्रगति और उपलब्धियों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।
‘अपार’ के उपयोग
अपार आईडी प्रत्येक विद्यार्थी के शैक्षणिक इतिहास का विस्तृत और स्थायी अभिलेख बनाया जा सकेगा जिसमें पाठ्यकग, अंकतालिका, प्रमाण पत्र व अन्य उपलब्धियां शामिल होगी।
अपार आईडी को डिजिलॉकर से सम्बद्ध कर विद्यार्थी की उपलब्धियां एक जगह प्राप्त होंगी।
विद्यार्थी कहीं से भी किसी भी समय अपने शैक्षणिक दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे।
शैक्षणिक संस्थानों के मध्य स्थानांतरण, कौशल, नौकरी व उच्च शिक्षा के लिए आवेदन के समय संकलन आसानी से हो सकेगा।
विद्यार्थियों के दस्तावेज वास्तविक समय अपडेट हो सकेंगे।
अपार आईडी को विद्यार्थियों के शैक्षणिक क्रेडिट बैंक (एबीसी) और विद्या समीक्षा केन्द्र (वीएसके) के साथ जोडा जाएगा, जिसकी सहायता से विद्यार्थियों के शैक्षणिक परिणामों, छात्रवृत्तियों व लाभकारी कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग सभी प्रशासनिक स्तरों से संभव हो सकेगी।
तकनीकी व्यवधान व भ्रांतियां बन रहीं बाधक
माता-पिता से सहमति पत्र लेने के बाद ही बच्चों का अपार आईडी जनरेट होने का काम शुरू होता है। निजी विद्यालयों में भ्रांति बन गई कि सरकारी स्तर पर बच्चों की इस तरह की आईडी बनाई जा रही है तो वह संशय में आ गए की भविष्य में उनका नामांकन कम ना हो जाए। इस भ्रम को भी शिक्षा विभाग के स्तर पर हटाने की कोशिश की गई। वहीं दूसरी बड़ी बाधा तकनीकी है। बड़ी संख्या में बच्चों की आईडी जनरेट करने में अब नेटवर्क की बाधा भी व्यवधान है।
ब्लॉकवार स्थिति
ब्लॉक : स्कूल : फीसदी आईडी जनरेट
भिनाय : 183 : 32.36
केकड़ी : 190 : 25.40
सरवाड़ : 173 : 23.86
सावर : 122 : 40.63
टोडारायसिंह : 164 : 38.15
इनका कहना है…
अपार आईडी जनरेट करने को लेकर जो भी प्रगति हुई है उस पर पीछे चल रहे स्कूलों को नोटिस दिए गए हैं। स्कूलों को इसमें तीव्रता से काम करना होगा। समय पर आईडी जनरेट करने के आदेश हैं। स्कूलों के पिछड़ने की स्थिति में उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
गोविंद नारायण शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, केकड़ी