स्मॉग का असर सडक़ से लेकर स्वास्थ्य तक

श्रीगंगानगर. इलाका मंगलवार को तीसरे दिन भी स्मॉग की गिरफ्त में रहा। स्मॉग के कारण दोपहर को भी सूरज की रोशनी मद्धम रही। दृश्यता कम होने से सडक़ों पर आवागमन में परेशानी और हादसों के साथ वातावरण में फैले स्मॉग से लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश व सांस लेने में कठिनाई संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम में बदलाव व वातावरण में छाए धुंए से आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रविवार के बाद सोमवार को दिनभर धुंध व धुंए का असर ज्यादा रहा। सूरज भी धुएं के पीछे छिपा नजर आया। ²श्यता कम होने से जहां आमजन को सडक़ पर आवागमन व वाहन चलाने में परेशानी हुई, वहीं स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी आ रही है। बुजुर्गों का कहना है कि यह धुंध नहीं बल्कि पराली जलाने से उत्पन्न धुआं है। पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा में धान की पराली जलाने के बाद हवा बंद होने और आद्र्रता बढऩे के साथ ही इसने इलाके को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
वातावरण में हर तरफ धुंआ पसरा होने से हवा की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। लोगों का कहना है कि इससे आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं पेश आ रही हैं। खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों व अस्थमा के मरीजों को इस प्रदूषण से परेशानी हो रही है। इस धुएं ने सडक़ परिवहन पर भी असर डाला है। ²श्यता कम होने से आए दिन हादसे हो रहे हैं। वाहनों की गति पर भी धुंए ने असर डाला है। लम्बी दूरी की बसें यहां देरी से पहुंच रही है।

सावधानी जरूरी

स्मॉग से प्रदूषित वातावरण में अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलें। जरूरी कार्य से बाहर निकलने पर चश्मा व मास्क आदि का उपयोग करें। गले में खराश आदि होने पर गुनगुने पानी से गरारे करना लाभदायक है। अस्थमा, उच्च रक्तचाप व शुगर आदि के मरीजों को विशेष सावधानी रखते हुए नियमित जांच व दवा लेना अनिवार्य है।
डॉ. पवन सैनी, वरिष्ठ चिकित्सक, राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर

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