पुष्कर। पुष्कर मेला मैदान में शनिवार को पशुपालन विभाग के सयुंक्त निदेशक एवं मेला अधिकारी डॉ सुनील घीया ने मंत्रोच्चार के साथ पूजन करके पुष्कर मेला कार्यालय का शुभारम्भ किया। इसी के साथ ही पुष्कर पशु मेला विभागीय स्तर पर शुरू हो गया है। मेले में आने वाले पशुओं, पशुपालकों के लिए सुविधाएं बढाने के प्रयास शुरू कर दिए गए है। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर (शहर ) गजेंद्र सिंह , उपखण्ड अधिकारी एवं मेला मजिस्ट्रेट गौरव मित्तल सहित अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
पशुपालन विभाग के कार्यक्रमों पर एक नजर:-
1. 2 नवम्बर शनिवार से संपूर्ण मेला अवधि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दूज तिथी 17 नवम्बर , रविवार तक
2. 4. नवम्बर को चौकियों की स्थापना होगी।
3. 9 नवम्बर को मेला मैदान में मेले का ध्वजारोहण किया जाएगा। इसी अवसर पर स्कूली बालिकाएं सांस्कृतिक नृत्य पेश करेगी। तथा इसी दिन सफेद चिठ्ठी काटकर मेला मैदान में आने वाले पशुओं की गणना शुरू कर दी जाएगी।
4. 10 नवंबर को पुष्कर के मेला मैदान से पशुओं की रवानगी की शुरू करने की अनुमति देकर रवन्ना काटा जाएगा।
5. 12 नवंबर को गीर एवं विकास प्रदर्शनी का उद्घाटन कर 14 नवंबर तक पशु प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
6. 15 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा पर विभाग की ओर से समापन समारोह होगा। जिसमें पशु प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पारितोषिक वितरण किया जाएगा।
धोरों में ऊंटों की बहार, अस्तबल सजे
वर्ष पर्यन्त सूने पड़े रैतील धोरों में ऊंटों व घोडों , घोडियों का मेला शुरू हो गया है। नए मेला मैदान में सड़क से लगे धोरो में अश्वों के हिनहिनाने की आवाजे गूंजने लगी है। नुकरी, मारवाडी, पदम, पंजाबी किस्म के अश्चों के अस्तबल सजने लगे हैं। वषों से आए रह कालाबड के महंत बाबा बालकदास सहित कईयों ने अपने अपने डेरे जमा लिए है। कोई घोडे को नचा रहा है ताे काेई भाव ताव कर रहा है।
विदेशियों ने की कैमल सफारी
सावित्री पहाडी की तलहटी में धोरों के बीच ऊंटों को बेचने खरीदने आए ऊंट पालकों ने तम्बू गाड दिए है। इनका इलाका ही अलग हो गया है। काफी संख्या में ऊंट मेले में आने शुरू हो गए है। विदेशी पर्यटक धोरों में कैमल सफारी करके पुष्कर मेले को यादगार बना रहे है।