Stroke causes in women : वर्ल्ड स्ट्रोक डे के मौके पर विशेषज्ञों ने बताया कि गर्भावस्था, ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स (Birth Control Pills) का उपयोग और महिलाओं की लंबी जीवन प्रत्याशा कुछ ऐसे कारण हैं जो उनके स्ट्रोक के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करते हैं। स्ट्रोक विश्वभर में मृत्यु और विकलांगता का मुख्य कारण है, लेकिन महिलाओं में यह मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन चुका है, जो पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं को प्रभावित करता है।
महिलाओं में स्ट्रोक के प्रमुख कारण Leading causes of stroke in women
1. हार्मोनल बदलाव और जीवन संभावना : Hormonal changes and life expectancy
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अतुल प्रसाद के अनुसार, महिलाओं में लंबी जीवन प्रत्याशा और हार्मोनल बदलाव, जो गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होते हैं, स्ट्रोक के बढ़ते खतरे में सहायक हैं। महिलाओं के जीवनकाल में आने वाले बदलाव, जैसे कि रजोनिवृत्ति और गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
2. उच्च रक्तचाप और हृदय रोग: High blood pressure and heart disease
उच्च रक्तचाप और अनियमित दिल की धड़कन (एट्रियल फाइब्रिलेशन) जैसे हृदय रोग भी स्ट्रोक के प्रमुख कारणों में से हैं। इसके अलावा, बढ़ते प्रदूषण का भी स्ट्रोक के मामलों पर असर पड़ता है।
3. माइग्रेन और प्रीक्लेम्पसिया का प्रभाव: Impact of migraine and preeclampsia:
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सुमित सिंह के अनुसार, महिलाओं में माइग्रेन, खासकर ‘ऑरा’ के साथ होने वाला माइग्रेन, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है, खासकर अगर वे धूम्रपान करती हैं या गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करती हैं। गर्भावस्था में होने वाली जटिलता, प्रीक्लेम्पसिया, स्ट्रोक का खतरा दोगुना कर देती है।
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असामान्य लक्षण और देरी से निदान का जोखिम
महिलाओं में स्ट्रोक के लक्षण अक्सर असामान्य या कम पहचाने जाने वाले होते हैं, जैसे कि थकान, कमजोरी, उलझन, मतली या उल्टी। इन लक्षणों के कारण निदान में देरी हो सकती है, जिससे इलाज में देरी होती है। डॉ. सिंह का कहना है कि सामान्य लक्षण जैसे कि लड़खड़ाती आवाज़, अचानक कमजोरी और चेहरे का एक ओर झुकना सभी में देखा जाता है, लेकिन महिलाओं में थकान, चक्कर, और यहां तक कि हिचकी जैसे असामान्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
इलाज और पुनर्वास में लिंग-विशिष्ट दृष्टिकोण की आवश्यकता
सामान्य रूप से, इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज और रोकथाम दोनों ही पुरुषों और महिलाओं के लिए समान हैं। हालांकि, महिलाओं के लिए पोस्ट-स्ट्रोक पुनर्वास कार्यक्रम को अधिक व्यक्तिगत और लिंग-विशिष्ट बनाया जाना चाहिए। महिलाओं में स्ट्रोक के बाद अवसाद और मानसिक गिरावट के मामले अधिक देखे जाते हैं, जिससे उन्हें ठीक होने में अधिक समय लगता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सामाजिक एकीकरण के साथ-साथ व्यक्तिगत शारीरिक पुनर्वास पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
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रोकथाम और सतर्कता: आवश्यक उपाय
स्ट्रोक से बचाव के लिए ब्लड प्रेशर नियंत्रण, कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन, धूम्रपान से बचना और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना जरूरी है। इसके साथ ही, गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से गुजर रही महिलाओं को स्ट्रोक के खतरे पर नज़र रखने की जरूरत है। जिन महिलाओं में प्रीक्लेम्पसिया का इतिहास रहा है, उन्हें भी लंबे समय तक स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता होती है।
महिलाओं में स्ट्रोक के जोखिम कारकों को समझना और उनका नियमित प्रबंधन करना उनकी सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।