अनूठी परंपरा: राजस्थान में यहां लक्ष्मी पूजन में इस चीज से बने खिलौने का लगता है भोग; जानें

Bikaner News: देवी-देवताओं के पूजन में सामान्यतः दूध, मावा, घी और छैना इत्यादि से तैयार होने वाली मिठाइयों का भोग अर्पित होता है, लेकिन बीकानेर में रियासतकाल से दीपावली के दिन होने वाले लक्ष्मी पूजन में चीनी की चाशनी से बनने वाले विभिन्न प्रकार के खिलौनों के भोग अर्पित करने की अनूठी परंपरा है।

घर-घर में विभिन्न प्रकार की मिठाइयों के साथ चीनी से बने खिलौनों का भोग विशेष रूप से अर्पित होता है। इसके लिए शहर से ग्रामीण क्षेत्रों तक में संचालित हो रहे करीब डेढ़ दर्जन कारखानों में बड़ी मात्रा में चीनी के खिलौनों को तैयार किया जाता है। यही नहीं देश के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले प्रवासी बीकानेरी भी दीपावली के लिए इन खिलौनों की विशेष रूप से खरीदारी करते हैं।

18 कारखाने, 45 टन से अधिक चीनी की खपत

चीनी से बने खिलौने का लगता है भोग

चीनी उत्पाद व्यवसाय से जुड़े पप्यू जोसी के अनुसार जिले में शहर से ग्रामीण क्षेत्रों तक करीब डेढ़ वर्जन छोटे व बड़े कारखाने हैं, जहां चीनी की चाशनी से इन खिलौनों को तैयार किया जाता है। दीपावली के अवसर पर अनुमानतः सभी कारखानों में कुल 45 टन से भी अधिक चीनी से इनको तैयार किया जाता है। सभी कारखानों में तीन सौ से अधिक कारीगर व मजदूर इस कार्य से जुड़े हुए हैं।

बीकानेर से बाहर भी है मांग

चीनी उत्पाद व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों के अनुसार, चीनी से तैयार होने वाले मखाणा, बड़क और चीनी के खिलौनों की बीकानेर जिले में ही नहीं, प्रदेश व देश के विभिन्न स्थानों पर मांग रहती है। बीकानेर में तैयार होने वाले ये उत्पाद कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, रायपुर, बैंगलूरु, आसाम, पंजाब, हरियाणा, सूरत, जयपुर जोधपुर, जैसलमेर पोकरण, फलौदी सहित अनेक स्थानों पर बिक्री के लिए जाते हैं।

लकड़ी के सांचों से तैयार होते हैं खिलौने

चीनी उत्पाच व्यवसाय से जुड़े रवीन्द्र जोशी के अनुसार, दीपावली के लिए विशेष रूप से तैयार होने वाले प्रसाद का मेवा खिलौनों को चीनी बारानी से बनाया जाता है। इनमें मखाणा, बड़क और चीनी के खिलौने शामिल हैं। चीनी के खिलौनों को लकड़ी के सांचों से बनाया जाता है।

सांचों में चाशनी भरकर खिलौने बनाए जाते हैं। इनमें महळ-माक्रिया, शेर, गुडिया, स्तंभ, तलवार, विभिन्न प्रकार के पक्षी, हाथी, घोड़ा इत्यादि शामिल हैं। इलायची के वाने पर बीनी की चाशनी लगाकर विशेष रूप से मखाणा बनाए जाते हैं। वहीं बड़क को भी बोनी की बाशनी से तैयार किया जाता है।

लक्ष्मी पूजन में अनिवार्य

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार दशकों से लक्ष्मी पूजन के दौरान मखाणा, बडक और चीनी से बने महक- माळिया व खिलौनों को प्रसाद के रूप में अर्पित करने की परंपरा है। चीनी से बने ये उत्पाद लक्ष्मी पूजन के दौरान आवश्यक रूप से उपयोग होते हैं। वहीं पारंपरिक रूप से बणा, बीज, फुली, काचर बेर, मतीरा का भी उपयोग लक्ष्मी पूजन के दौरान होता है।

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