Dhanteras Record: 100 साल बाद 6 दुर्लभ योग में धनतेरस, इस योग के कारण तीन गुना फल देगी खरीदारी

Dhanteras Shopping: पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन खरीदारी का तीन गुना लाभ देने वाला त्रिपुष्कर और लक्ष्मीनारायण योग बनेगा। इसके अलावा 4 अन्य योग बन रहे हैं। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन के साथ भूमि-भवन, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री, चल-अचल संपत्ति में निवेश लाभप्रद होता है।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार धनतेरस धन और तेरस दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें धन का अर्थ है समृद्धि और तेरस का अर्थ हिंदू कैलेंडर का 13 वां दिन है।

इस दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी आराधना से रोग से मुक्ति मिलती है। हालांकि, धनतेरस के दिन कुबेर देव और देवी लक्ष्मी की पूजा करने की भी परंपरा है। इस साल धनतेरस पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग यानी त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। इसके अलावा शश राजयोग, लक्ष्मी नारायण योग भी बन रहा है।

धनतेरस पर तीन गुना फायदा देने वाला योग

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर को सुबह 10.32 से होगी और यह तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 1.16 बजे तक रहेगी। इस दिन तिथि, वार नक्षत्र से मिलकर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। यह योग इस समय किए गए कार्य के प्रभाव को तीन गुना बढ़ा देता है। इस योग में शुभ कार्यों को करना उत्तम माना जाता है। इस दिन बिजनेस और शुभ काम की शुरुआत करनी चाहिए।

साथ ही ऐसे कार्यों, जिसमें हानि संभावित हो उन्हें करने से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त शुक्र पहले से वृश्चिक राशि में है, जबकि धनतेरस पर वृश्चिक राशि में बुध के आने से लक्ष्मीनारायण योग भी बनेगा। इसके अलावा जो लोग 30 तारीख को खरीदारी करना चाहते हैं, उनके लिए अगले दिन सर्वार्थसिद्धि योग में खरीदारी करना भी शुभ फलदायी रहेगा।

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धन त्रयोदशी के विशेष योग

इंद्र योगः 28 अक्टूबर 2024 सुबह 6:48  बजे से 29 अक्टूबर 2024 सुबह 07:48 बजे तक
त्रिपुष्कर योगः सुबह 06:31 बजे से  सुबह 10:31 बजे तक (29 अक्टूबर)
लक्ष्मी-नारायण योग: धनतेरस के दिन वृश्चिक राशि में शुक्र और बुध एक साथ विराजमान रहेंगे, ऐसे में लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होगा।
शश महापुरुष राजयोगः धनतेरस पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे, जिससे शश महापुरुष राजयोग बनेगा, ऐसे में शनि की कृपा भी प्राप्त होगी।

खरीदारी के लिए चौघड़िया

चर : सुबह 9.18 से 10.41 बजे तक।
लाभ : सुबह 10.41 से दोपहर 12.05 और शाम 7.15 से 8.51 बजे तक।
अमृत : दोपहर 12.05 से 1.28 बजे तक।
शुभ : दोपहर 2.51 से 4.15 बजे तक।

प्रदोषकाल: शाम 5.38 से रात 8.13 बजे तक रहेगा।
प्रदोषकाल में पूजन मुहूर्त: 1 घंटा 31 मिनट

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इस समय करें दीपदान

डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस दिन अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम दीप दान करते हैं। लक्ष्मी-कुबेर पूजन के साथ यम दीप दान के लिए प्रदोषकाल में शाम 6.31 से रात 8.13 बजे तक 1 घंटा 42 मिनट का श्रेष्ठ समय है।

इसलिए खरीदते हैं बर्तन

डॉ. अनीष व्यास के अनुसार धनतेरस जिसे धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती भी कहते हैं, पांच दिवसीय दीपावली का पहला दिन होता है। मान्यता है इस तिथि पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण से हर वर्ष धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा निभाई जाती है। कहा जाता है जो भी व्यक्ति धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन, जमीन-जायजाद की शुभ खरीदारी करता है उसमें तेरह गुना की बढ़ोत्तरी होती है।

इस दिन चिकित्सक अमृतधारी भगवान धन्वंतरि की पूजा करेंगे। इसी दिन से देवता यमराज के लिए दीपदान से दीप जलाने की शुरुआत होगी और पांच दिनों तक जलाए जाएंगे। लोकाचार में इस दिन खरीदे गए सोने या चांदी के धातुमय पात्र अक्षय सुख देते हैं। लोग नए बर्तन या दूसरे नए सामान खरीदेंगे।

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