प्रो. हिमांशु राय
निदेशक, आइआइएम इंदौर
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नेतृत्व लंबे समय से अन्वेषण का विषय रहा है, जिसमें सफल लीडरों के गुणों, कौशल और व्यवहार को समझने की कोशिश की गई है। इनमें से नेतृत्व का व्यवहार सिद्धांत (यानी बेहवियरल थ्योरी) इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि लीडर क्या करते हैं, न कि वे कौन हैं। अन्य सिद्धांतों, जो अंतर्निहित लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करते थे, के विपरीत, यह सिद्धांत मानता है कि नेतृत्व विशिष्ट व्यवहारों में निहित है। इस नेतृत्व को देखा, सीखा और दोहराया जा सकता है।
20वीं सदी के मध्य में उभरा यह सिद्धांत तर्क देता है कि प्रभावी नेतृत्व अंतर्निहित गुणों के बजाय कार्यों पर आधारित होता है। अर्थात कोई भी व्यक्ति कुछ खास व्यवहारों को सीखकर और लागू करके एक प्रभावी लीडर बन सकता है। इस सिद्धांत पर ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी और मिशिगन यूनिवर्सिटी द्वारा दो अध्ययन किए गए हैं। ओहायो स्टेट लीडरशिप स्टडीज ने लीडर बेहवियर के दो प्राथमिक आयामों की पहचान की द्ग आरंभिक संरचना, और विचार। आरंभिक संरचना में कुशल लीडर कार्यों और लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि कार्य व्यवस्थित और कुशलतापूर्वक पूरा हो। साथ ही, विचार एक लीडर के मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने, सहानुभूति दिखाने और विश्वास और सहयोग का माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित करने को संदर्भित करता है।
इसी तरह, मिशिगन विश्वविद्यालय के अध्ययनों ने दो प्रकार के नेतृत्व व्यवहारों पर जोर दिया द्ग कार्य-उन्मुख व्यवहार, और संबंध-उन्मुख व्यवहार। कार्य-उन्मुख व्यवहार को प्राथमिकता देने वाले लीडर मुख्य रूप से कार्यों को पूरा करने, स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने और उत्पादकता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वहीं संबंध-उन्मुख व्यवहार वाले लीडर पारस्परिक संबंधों को प्राथमिकता देते हैं, टीम के सदस्यों का समर्थन करते हैं और सकारात्मक कार्य वातावरण को बढ़ावा देते हैं। इन निष्कर्षों का परिणाम था रॉबर्ट ब्लेक और जेन माउटन का मैनेजरियल ग्रिड मॉडल जो उत्पादन के लिए चिंता और लोगों के लिए चिंता को संतुलित करता है। अपने करियर में, मुझे विभिन्न क्षेत्रों में इन नेतृत्व व्यवहारों को लागू करने का अवसर मिला है – फिर बात चाहे कॉर्पोरेट की हो या पर्वतारोहण की।
टाटा स्टील में अपने कार्यकाल में मैं स्वाभाविक रूप से एक ऐसी नेतृत्व शैली की ओर आकर्षित हुआ, जो आरंभिक संरचना और विचार दोनों को संतुलित करती थी। एक बड़े कॉर्पोरेट वातावरण में जटिल संचालन का प्रबंधन करने के लिए कार्य-उन्मुख दृष्टिकोण जरूरी होता है, जो समय सीमा, दक्षता और कंपनी के रणनीतिक लक्ष्य पाने पर ध्यान केंद्रित करता है। हालांकि, मैंने टीम के भीतर संबंधों को पोषित करने के महत्त्व को भी पहचाना। इसी प्रकार, पर्वतारोहण करते समय, मुझे अक्सर चुनौतीपूर्ण वातावरण के माध्यम से लोगों के विविध समूहों का नेतृत्व करना होता है और कार्य-उन्मुख और संबंध-उन्मुख व्यवहार दोनों का एक अच्छा संतुलन प्रदर्शित करने की आवश्यकता रहती है। ऐसे ही एक अभियान पर टीम के एक सदस्य को चढ़ाई के बीच में शारीरिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। तब मुझे यह तय करना था कि आगे बढऩा है या रुकना है। मैंने तत्काल टीम की सामूहिक भलाई को प्राथमिकता दी और सुनिश्चित किया कि व्यक्ति को उचित देखभाल मिले। इस उदाहरण में, संबंध-उन्मुख व्यवहार समूह की समग्र सफलता व सामंजस्य के लिए महत्त्वपूर्ण था, भले ही अंतिम लक्ष्य कार्य पूरा करना था। इस तरह दोनों नेतृत्व शैलियों के प्रयोग आवश्यक है।