– अब भी होता करोड़ों का कारोबार-कपड़े, कॉस्मेटिक और अन्य सामग्री का है गढ़
दिलीप शर्मा
अजमेर. शहर में सौ साल पुराने बाजारों में नया बाजार के साथ मदार गेट बाजार का भी अलग महत्व है। शहर में आज से 30 साल पहले तक तो किसी भी चीज की खरीदारी के लिए मदार गेट ही आना पड़ता था। मदार गेट में सौ साल पुरानी कई दुकानें आज भी उसी धंधे से जुड़ी हैं। इन दुकानों में पांचवी-छठी पीढी व्यापार संभाल रही है।
यहां रेडीमेड, कपड़े राशन किराना व फैंसी आईटम शूज सहित जूते से लेकर बैग मरम्मत आदि के काम एक ही बाजार में होते थे। तीज-त्योहारों में राखी, पटाखे आदि की अस्थायी दुकानें यहीं लगती थीं। खास बात है कि शहर के विभिन्न इलाकों में बाजार व मॉल विकसित होने के बाद आज भी शहरवासी मदार गेट आना पसंद करते हैं। यहां अब भी थोक-रिटेल सहित करोड़ों का कारोबार होता है।
क्यों खुद में है खास
मदार गेट का महत्व इससे भी है कि स्टेशन से निकलते ही यहां से ही बाहर से आने वाले लोगों को शहर की चारदीवारी में प्रवेश करना होता है। मदार शाह बाबा का पहाड़ यहां से साफ नजर आने से इसके प्रवेश द्वार को मदार गेट नाम दिया गया। यहीं से होकर दरगाह की ओर नला बाजार होकर रास्ता जाता है।
अजमेर का पहला प्रमुख बाजार
बुजुर्गों का कहना है कि नया बाजार सर्राफा व हार्डवेयर के लिए जाना जाता था लेकिन रोजमर्रा, फैंसी, राशन, रेडीमड गारमेंट की सालों पुरानी दुकानें यहां हैं। कई दुकानें करीब सौ साल पुरानी हैं। यहां की खास बात कबाड़ी बाजार, मोची बाजार, कपड़ा मार्केट (गांधी भवन), अटैची रिपेयर, इत्र, कांच, फुटवीयर, नमकीन, सूखे मेवे आदि की बरसों पुरानी दुकानें आज भी ग्राहकों को बांधे हुए हैं। कभी यहां फलूदा आईसक्रीम, सब्जी, फल, आदि की भी दुकानें फिक्स थीं तब शहर में इतने ठेले कॉलोनियों तक नहीं पहुंचते थे।
इनका कहना है
दादा-परदादा ने 1903 में इत्र गुलाब जल का धंधा शुरू किया था। आज छठी पीढ़ी उसी धंधे में है। इत्र देश विदेश में जाता है। शहर में इत्र कारोबारियों की गिनी चुनी दुकानें हैं मदार गेट आज भी अजमेर के पुराने बाजारों में शुमार होने से इसकी पैठ कायम है।
तेजेश गुप्ता, इत्र व्यवसायी
हमारी दुकान भी सौ साल पहले से स्थापित है। शुरू में छोटे स्तर पर थी। बाद में रेस्टोरेंट व व्यंजन बनाए जाने लगे। स्टेशन के सामने होने से यहां यात्रियों व जायरीन की बरसों पुरानी ग्राहकी है।
पवन कुमार गुप्ता